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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजीत पवार (Ajit Pawar) ने 2 जुलाई को महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है, जो राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में उनके आगमन का प्रतीक था. हालांकि अजित पवार के साथ जाने वाले विधायकों की तादाद अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह तय है कि अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की पार्टी में एक बड़ा विभाजन कराने में कामयाबी हासिल कर ली है.
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव हमेशा "समय की बात" था.
एक बीजेपी नेता ने द क्विंट के साथ बातचीत में कहा कि
बीजेपी नेता ने दावा किया कि अजित पवार का ट्रांसफर पहले भी हो सकता था लेकिन ''एनसीपी के आंतरिक मुद्दों'' की वजह से इसमें देरी हुई.
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों को भरोसा है कि अजित पवार दलबदल विरोधी कानून के तहत विभाजन के लिए जरूरी विधायकों को अपने सपोर्ट में ला सकेंगे. एनसीपी के पास 53 विधायक हैं, दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई से बचने के लिए अजित पवार को 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
विपक्ष की एकता के प्रयासों का केंद्र महाराष्ट्र था. लोकसभा सीटों के दूसरे सबसे बड़ा हिस्सा (48) महाराष्ट्र बीजेपी के लिए एक चुनौती बन गया था क्योंकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस चुनाव पूर्व गठबंधन के करीब पहुंच रही थी.
अजित पवार और बड़ी संख्या में एनसीपी नेताओं और विधायकों को अपने पाले में करके, बीजेपी ने वही किया है, जिसे उसके अपने नेता विपक्ष पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' कहना शुरू कर चुके हैं.
इस घटनाक्रम से उत्साहित बीजेपी नेता अब दावा कर रहे हैं कि कोई भी 'मोदी-विरोधी' गठबंधन फेल होना तय है.
अगर अजित पवार दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए पर्याप्त विधायकों को तोड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो इससे सत्तारूढ़ गठबंधन की संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी.
मौजूदा वक्त में 288 सदस्यीय सदन में बीजेपी के 105 विधायक हैं, साथ ही सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 40 और निर्दलीय और छोटे दलों के लगभग 21 अतिरिक्त विधायक हैं.
अगर अजित पवार के हिस्से में 36 से ज्यादा गए तो, बीजेपी की एकनाथ शिंदे पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. लोकसभा चुनाव के अंकगणित की खातिर बीजेपी अब भी शिंदे को अपने पक्ष में करना चाहेगी.
शिंदे को सीएम की कुर्सी पर बनाए रखने का एकमात्र उचित कार्रवाई उद्धव ठाकरे की शिवसेना में किसी भी तरह के पुनरुत्थान को रोकना होगा.
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