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डिंपल का डबल धमाका,मैनपुरी जीत पॉलिटिक्स चमकाया-चाचा शिवपाल को परिवार में मिलाया

शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया है.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>डिंपल का डबल धमाका, मैनपुरी जीतकर पॉलिटिक्स चमकाया, शिवपाल को परिवार में मिलाया</p></div>
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डिंपल का डबल धमाका, मैनपुरी जीतकर पॉलिटिक्स चमकाया, शिवपाल को परिवार में मिलाया

फोटोः क्विंट हिंदी

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समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव कई मायनों में दिलचस्प था. सीट को जीतना समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था और जिस तरीके से पूर्व में हुए चुनावों में पार्टी को शिकस्त मिली थी उस तरीके से यह आसान राह नहीं लग रही थी.

अब समाजवादी पार्टी की जीत के बाद कई कारण गिनाए जा रहे हैं, जो पार्टी के हित में गए हैं. लेकिन, एक कारण जो उभरकर आ रहा है वह है डिंपल यादव का एक परिपक्व राजनीतिक चेहरा जिसने न सिर्फ चुनाव जीता बल्कि परिवार को भी एक साथ लेकर आईं.

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल वह चेहरा हैं, जिसमें लोग मुलायम की छवि को देखते हैं. लेकिन, समाजवादी पार्टी और खासकर अखिलेश से शिवपाल की नाराजगी और कथित तौर पर उनकी भारतीय जनता पार्टी से करीबी जगजाहिर थी. अटकलों और कयासों को विराम लगाते हुए शिवपाल यादव ने चुनाव में एसपी का समर्थन किया.

स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुए शिवपाल ने मैनपुरी में कहा था उनके पास उनकी बहू डिंपल यादव का फोन आया था और उन्होंने अपने चाचा का समर्थन मांगा है. शिवपाल यादव ने भी अपनी बहू को निराश नहीं किया और डिंपल को रिकॉर्ड मतों से जिताने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. कई मौकों पर अखिलेश और डिंपल यादव के साथ स्टेज पर भी शिवपाल यादव दिखे. मैनपुरी लोकसभा के अंतर्गत आने वाले शिवपाल यादव के गढ़ जसवंतनगर से डिंपल यादव को एक लाख से ज्यादा वोटों की बढ़त ने उनके रिकॉर्ड तोड़ जीत में भारी योगदान दिया है.

मैनपुरी में जीत के बाद शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा कर दी है. चाचा-भतीजे को वापस मिलाने का श्रेय कुछ हद तक डिंपल यादव को ही जाता है, जिन्होंने बड़े ही सधे तरीके से पारिवारिक दरार को मैनपुरी चुनाव के दौरान भरने की कोशिश की.

राजनीति में कम सक्रिय दिखने वाली डिंपल यादव का इस चुनाव में एक परिपक्व चेहरा नजर आया, जहां वह लगातार चुनावी रैलियां संबोधित कर रही थीं. घर-घर जाकर वोट की अपील के साथ-साथ मीडिया के कठिन सवालों का खुलकर सामना कर रही थीं. डिंपल की सक्रियता मतदान के दिन भी देखने को मिली, जब वह वोटरों की शिकायत का समाधान करने के लिए बूथ पर पहुंचकर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब कर रही थीं.

चुनाव में मिल रही लगातार हार से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा था और उपचुनाव में मिली जीत और पार्टी के मजबूत हो रहे पारिवारिक समीकरण को देखकर लगता है कि डिंपल यादव कि मैनपुरी में जीत एक संजीवनी है, जिसकी पार्टी को सबसे ज्यादा जरूरत थी. विशेषज्ञों की मानें तो आगे आने वाले वक्त में डिंपल यादव की राजनीति में सक्रियता और पार्टी के अंदर जिम्मेदारियां दोनों बढ़ सकती हैं.

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