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कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के अलग-अलग शहरों में नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. ऐसे में 11 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी कोलकाता पहुंचे और सीएम ममता बनर्जी से उनकी मुलाकात हुई. लेफ्ट पार्टियां इसे ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस का ‘‘दोहरा मापदंड’’ बता रही हैं. सीपीएम के पोलित ब्यूरो मेंबर मोहम्मद सलीम ने तृणमूल कांग्रेस को बीजेपी की बी टीम तक बता डाला.
सलीम ने कहा, ‘‘अब ये साबित हो गया है. वह बीजेपी से लड़ना नहीं चाहती, बल्कि वह राज्य में भगवा खेमे की मदद कर रही है. दोनों पार्टियों के बीच ये मैच फिक्सिंग चल रही है.’’
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने भी सलीम के विचारों को दोहराया और कहा कि राज्य के लोग ‘‘विश्वासघात करने के लिए बनर्जी को मुंहतोड़ जवाब देंगे.’’ तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने ‘‘राजनीतिक मैच-फिक्सिंग’’ के दावे का खंडन किया और कहा कि दोनों नेताओं के बीच बैठक दो सरकारों के बीच की बैठक थी.’’
सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा कि लेफ्ट मोर्चा CAA-NRC के खिलाफ साफ तौर पर और लगातार खड़ा है. लेकिन पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी नागरिकता कानून के खिलाफ केरल जैसा बिल लेकर नहीं आ रही है.
11 जनवरी को पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई की ओर से आयोजित धरना प्रदर्शन में शामिल हुईं जहां उन्होंने अपना रुख दोहराया कि नये नागरिकता कानून को बंगाल में कभी भी लागू नहीं किया जायेगा. वहीं CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने ऊनपर प्रदर्शन को कमजोर करने का आरोप लगाया.
11 जनवरी की देर शाम जब वो एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंची उस वक्त लेफ्ट पार्टियों से जुड़े छात्रों ने उनके खिलाफ नारे लगाए और पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर सफाई की भी मांग की.
बता दें कि ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से अपनी मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर जैसे मुद्दों पर फिर से विचार करने तथा इन्हें वापस लेने का अनुरोध किया
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