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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के महाराष्ट्र दौरे पर हौसले बुलंद दिखे. दिल्ली और गोवा के दौरे के बाद ममता बनर्जी के मुंबई दौरे ने तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट कर दिया है. फर्क सिर्फ इतना है कि महाराष्ट्र में चुनावी राजनीति करने नहीं बल्कि बीजेपी के खिलाफ क्षेत्रीय दलों का समर्थन पाने के लिए ममता ने महाराष्ट्र का रुख करने की बात कही है. बिन कांग्रेस आगे बढ़ने की अपनी रणनीति में शरद पवार को साथ लेने की कोशिश भी कुछ हद तक कामयाब होती नजर आ रही है.
दो दिन के मुंबई दौरे में ममता बनर्जी ने कई अहम बैठक की. जिसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे मंत्री आदित्य ठाकरे और सांसद संजय राउत के अलावा कई उद्योगपति, कलाकार, लेखक, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.
ममता जब ये बात कह रही थीं तो बगल में पवार खड़े थे और ये बड़ी अहम बात है. इस सियासी हलचल को कांग्रेस भी पढ़ रही है तभी तो महाराष्ट्र कांग्रेस के मुखिया नाना पटोले ने कहा कि- एक राज्य तक सीमित राजनीतिक दल बीजेपी का विकल्प नहीं हो सकता, बीजेपी के लिए कांग्रेस ही एकमात्र मजबूत राजनीतिक विकल्प है.
शरद पवार ने संभलकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ममता दीदी की मंशा है कि आज की स्थिति में समविचारी शक्तियों को एक साथ आना जरूरी है. हमें बीजेपी के खिलाफ एक कलेक्टिव नेतृत्व मंच और मजबूत विकल्प स्थापित करना होगा.
लेकिन क्या बिन कांग्रेस आगे बढ़ने की ये रणनीति सही है? वरिष्ठ पत्रकार सुनील चावके का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी में करीब 250 सीटों पर सीधी लड़ाई होती है. उसमें कांग्रेस लगभग 200 सीटों पर कमजोर हो गई है. अगर कांग्रेस इन सीटों पर दमखम के साथ फिर से नहीं उतरी तो विपक्षी दल कितनी भी कोशिशें करें, उससे खास फर्क नहीं पड़ेगा. इसीलिए कांग्रेस के बिना थर्ड फ्रंट का अस्तित्व मुश्किल नजर आता है.
हालांकि राजनीतिक पत्रकार विवेक भावसार का मानना है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को धूल चटाने के बाद तृणमूल बीजेपी के खिलाफ मजबूत विकल्प के तौर पर सामने आ रही है. कम से कम एक परसेप्शन बनने में मदद मिली है. ममता इस परसेप्शन को पूरी तरह से इनकैश करना चाहती हैं. इसीलिए पंजाब, हरियाणा और गोवा जैसे राज्यों में इलेक्टोरल मेरिट और अन्य राज्यों में लीडरशिप मेरिट जुटाने का प्रयास ममता करती दिख रही है.
मेघालय और गोवा के उदाहरण से साफ होता है कि ममता कांग्रेस में सेंध लगाकर बंगाल के बाहर अन्य राज्यों में टीएमसी विस्तार योजना करने की तैयारी में है. 2024 के चुनावों तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दल की स्पेस हासिल करने पर ममता का जोर नजर आ रहा है. हालांकि ताकतवर क्षेत्रीय दलों की मदद से ममता की राष्ट्रीय महत्वकांक्षा को कितना बल मिलता है ये देखना दिलचस्प होगा.
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Published: 01 Dec 2021,10:58 PM IST