advertisement
इस बार मकर संक्रांति पर मायावती और अखिलेश यादव सियासी खिचड़ी पकाने की तैयारी में हैं. ये खास मौका होगा बीएसपी सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन का. खिचड़ी तो दोनों साथ मिलकर ही बनाएंगे, पर कलछुल अखिलेश अपने हाथों में लेने की कोशिश करेंगे.
जी हां, बीएसपी प्रमुख के जन्मदिन पर बड़ी सियासी जुटान हो रही है. इसमें देशभर के गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं. मायावती के लिए कौन, क्या बर्थडे गिफ्ट लेकर आता है, ये तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इतना तो तय दिख रहा है कि मायावती को इन लोगों से 'खास उपहार' की उम्मीद है.
अखिलेश अपनी बुआ के इस बार के जन्मदिन को लेकर खासे उत्साहित हैं, क्योंकि उनकी नजर में यह सियासी खिचड़ी अगर सही से पक जाती है, तो उनका यूपी पर एक तरह से दावा मजबूत हो जाएगा और 'बुआ' को दिल्ली की राह दिखाकर वो केंद्र भी साध लेंगे.
2019 के आम चुनाव मद्देनजर उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन तय हो चुका है. अब सिर्फ शनिवार को राजधानी लखनऊ के ताज होटल में अखिलेश यादव और मायावती की एक साझा प्रेसवार्ता में इसकी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है. पर जन्मदिन के मौके पर होने वाले सियासी जुटान से एक तीसरे मोर्चे के गठन की भी मजबूत पहल है.
ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. लिहाजा जितने भी गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दल हैं, वो भी इस जन्मदिन को खास बनाने की कवायद में जुटे हैं.
राजनीति में रिश्ते बदलते देर नहीं लगती. वो कहते हैं न कि दुश्मनी और दोस्ती की उम्र बहुत छोटी होती है. ऐसा ही कुछ वर्तमान में हो रहा है. 'बुआ' और 'बबुआ' के बीच का सियासी गठबंधन इस बात का सबसे ताजा उदाहरण है.
उत्तर प्रदेश में यह गठबंधन सीटों के बंटवारे की सीढ़ी भी चढ़ गया है. कहा जा रहा है कि प्रदेश में दोनों पार्टियां 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बाकी बचे सीटों को गठबंधन वाले दलों में बांटा जाएगा. यही कारण है कि परस्पर एक-दूसरे के विरोधी रहे एसपी और बीएसपी आज सब कुछ भूल मायावती के जन्मदिन को सफल बनाने के लिए इतनी शिद्दत से लगे हैं.
जन्मदिन में एसपी के अध्यक्ष अखिलेश यादव तो बधाई देने पहुंचेंगे ही, रालोद के जयंत चौधरी भी शिरकत करने वाले हैं. ममता बनर्जी तीसरे मार्चे की वकालत करती रही हैं. ऐसी स्थिति में तृणमूल कांग्रेस के अलावा अभय चौटाला और अजित जोगी भी 15 जनवरी के इस जन्म-दिवस जलसे में दिख सकते हैं.
मायावती अपना जन्मदिन हर साल 15 जनवरी को ‘जन कल्याणकारी दिवस’ के रूप में मनाती हैं. सत्ता में रहते हुए उनके जन्मदिन की रौनक ही कुछ अलग हुआ करती थी. पर कुर्सी के छूटने के बाद जन्मदिन की रंगत फीकी पड़ गई.
मौजूदा घटनाक्रम को देखें, तो एसपी और बीएसपी की सरकार के समय में हुए घोटालों की जांच को लेकर सीबीआई की छापेमारी दोनों के लिए चिंता का कारण बनी है. खनन मामले में सीबीआई की कार्रवाई तो अखिलेश के लिए बड़ा सिरदर्द है. हालांकि अखिलेश अपने एक ट्वीट, ‘दुनिया जानती है इस खबर में हुआ है, मेरा जिक्र क्यों बदनीयत है, जिसकी बुनियाद उस खबर से फिक्र क्यों’ के जरिए अपनी बेफ्रीकी को शेयर किया है. पर यह भी इस बात को दर्शाता है कि वो इस छापेमारी को लेकर कितने फिक्रमंद हैं.
इधर पीएम नरेंद्र मोदी ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का एक नया चुनावी पासा भी खेल दिया है. उनका 2019 के चुनावों को अपने पक्ष में कर लेने को लेकर किए जा रहे प्रयासों का सिलसिला भी जारी है, जिसमें 40 लाख तक आमदनी वालों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्त करना भी शामिल है. इसके अलावा किसानों को लेकर भी वो कोई नया पासा फेंकने की तैयारी में हैं.
ऐसे में मायावती का ये जन्मदिन पीएम मोदी के सियासी चालों को मात देने का प्लेटफॉर्म भी साबित हो सकता है.
2012 से सत्ता से दूर हुई मायावती अब ज्यादा वक्त दिल्ली ही गुजारती हैं. करीब साढ़े तीन माह बाद वो शुक्रवार को लखनऊ पहुंची हैं, इसलिए कार्यकर्ता भी पूरे जोशो-खरोश के साथ उनके स्वागत में जुट गये हैं. वीआईपी रोड से लेकर मायावती के आवास तक पोस्टर लगाए गए हैं. अपने नए आवास में प्रवेश के बाद मायावती दिल्ली चली गई थीं और अधिकतर बैठकें उन्होंने वहीं से कीं.
लखनऊ में हर माह की 10 तारीख को पार्टी संगठन की बैठक होती है, जिसे अब तक प्रदेश अध्यक्ष ही लिया करते थे, मगर इस बार वे खुद बैठक कर रही हैं. इस बार के उनके लखनऊ प्रवास का पूरा समय चुनावी तैयारियों और सीटों की समीक्षा में बीतेगा.
इन दिनों गठबंधन को लेकर कई किस्म की राजनीति चल रही है और बीजेपी को हराने की चाहत सभी दलों को है, लेकिन गठबंधन में कई दलों से परहेज की भी बातें भी सामने आती रही हैं, खासकर यूपी में. ऐसे में जन्मदिन के मौके पर 'महाजुटान' पर सबकी नजरें हैं.
देखा यह भी गया है कि बीएसपी ने एसपी के मुकाबले अपने पत्ते गठबंधन को लेकर कम खोले हैं, दूसरी ओर एसपी ज्यादा उतावली दिखती रही है. मायावती इस बार राजनीति के मिजाज को भांपने की कोशिश में हैं. अब देखना ये है कि मायावती की ये बर्थडे पॉलिटिक्स 2019 आम चुनाव पर कितना असर डाल पाती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 11 Jan 2019,06:17 PM IST