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5 वॉर्ड में हुए दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया है. आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस के लिए एक सीट उम्मीद लेकर आई है.
आम आदमी पार्टी ने एमसीडी की कल्याणपुरी, रोहिणी-सी, शालीमार बाग (उत्तर), और त्रिलोकपुरी सीट हासिल की हैं. वहीं कांग्रेस ने चौहान बांगर वार्ड से जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में AAP ने चार सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट बीजेपी के पास थी. शालीमार बाग में बीजेपी पार्षद के निधन और चार आम आदमी पार्टी के पार्षदों के इस्तीफे के बाद इन चुनावों को कराए जाने की जरूरत पड़ी थी.
ऐसे में नतीजे सामने आने के बाद इन नतीजों के 3 पहलुओं को समझते हैं.
आम आदमी पार्टी के दबदबे में 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद कमी नहीं दिख रही है. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी.
इस उपचुनाव नतीजों की खास बात ये है कि AAP ने रोहिणी-C में भी जीत हासिल की है, ये वो इलाका है जो बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता के विधानसभा क्षेत्र में आता है. गुप्ता उन कुछ बीजेपी नेताओं में से एक हैं जिन्हें 2020 चुनाव में जीत हासिल हुई थी.
हालांकि, आम आदमी पार्टी के लिए एक चेतावनी भरा संकेत भी दिख रहा है, वो है चौहान बांगर सीट के नतीजे.
चौहान बांगर वॉर्ड में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है. करीब 70 फीसदी वोट पार्टी को मिले वहीं AAP महज 20 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी. फरवरी, 2020 में हिंसा झेल चुके नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में आने वाला चौहान बांगर एक मुस्लिम बहुसंख्यक वॉर्ड है.
यहां के नतीजे बता रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट है, ये वो समुदाय है जिसने 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपना समर्थन दिया था. ये दिखाता है कि यहां रहने वाले कई मुस्लिम ये मान रहे हैं कि AAP ने हिंसा रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया है और जो राहत का काम पार्टी आ रही है वो भी बहुत संतोषजनक नहीं है.
कुल मिलाकर ये फैसला सीलमपुर से AAP विधायक अब्दुल रहमान के लिए है, जो चौहान बांगर से पार्षद रह चुके हैं. वहीं कांग्रेस की बात करें तो चौहान बांगर में सीट तो जीत गई है पार्टी लेकिन दूसरे वॉर्ड में वोट शेयर 15 फीसदी से भी नीचे गिर गए हैं.
बीजेपी के लिए ये नतीजे परेशान करने वाले हैं. पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चिंता करने वाली बात ये है कि बीजेपी अपने खराब समय में भी 32-35 फीसदी वोट शेयर हासिल कर लेती है लेकिन इन नतीजों में बीजेपी का वोट फीसदी गिरकर 27 फीसदी के करीब पहुंच गया है.
लेकिन इस बार बात थोड़ी आगे बढ़ गई है, ऐसा दिख रहा है कि बीजेपी के वो वोटर जो स्थानीय स्तर पर तय नहीं कर पाते ते वो भी अब बिना अरविंद केजरीवाल का चेहरा देखे ही आम आदमी पार्टी को वोट करने लगे हैं.
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