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पब्लिक सेफ्टी एक्ट(पीएसए) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की हिरासत अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गई है. जम्मू-कश्मीर प्रधान सचिव, गृह, शालीन काबरा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकार ने पीएसए के तहत अगले तीन महीने के लिए उनकी हिरासत अवधि को बढ़ाने का फैसला किया है और वह यहां गुपकर रोड स्थित फेयरव्यू उपजेल में रहेंगी. इस फैसले के बाद कुछ नेताओं की प्रतिक्रिया रही हैं सामने आ रही है. प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया है और रिहा करने की मांग की है.
प्रियंका गांधी ने कहा है कि हिंदुस्तान के संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा रवैया तानाशाही का प्रतीक है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि महबूबा मुफ्ती को नजरबंद रखना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है उन्हें रखना चाहिए.
राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है कि नेताओं को अवैध तरीके से हिरासत में रखने से सरकार ने डेमोक्रेसी पर चोट की है, महबूबा मुफ्ती रिहा होनी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद वहां बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई थीं. यहां के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को हिरासत में ले लिया गया था. कई महीनों के बाद उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को खत्म किया गया. इन सभी नेताओं को लंबे समय तक के लिए हिरासत में रखने के लिए पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया था.
बता दें कि ये वही महबूबा मुफ्ती हैं, जिनके साथ बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन आज उसी बीजेपी के शासनकाल में महबूबा की हिरासत को लगातार कई महीनों के लिए बढ़ाया जा रहा है. कश्मीरी नेता ये सवाल उठा रहे हैं कि जब बाकी बड़े नेताओं की हिरासत खत्म कर दी गई है तो केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती को क्यों आजाद नहीं करना चाहती है?
हाल ही में पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता और कश्मीर के बड़े नेताओं में से एक सज्जाद लोन को सरकार ने रिहा किया है. वो भी पिछले साल 5 अगस्त से हिरासत में थे. उनसे पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व आईएएस अफसर शाह फैसल समेत पीडीपी नेताओं पीर मंसूर और सरताज मदनी से पीएसए हटाकर उनकी रिहाई का रास्ता साफ किया था. इसके बाद से ही लगातार महबूबा मुफ्ती पर लगाया गया पीएसए हटाने की मांग चल रही है.
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