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6 जुलाई को जब सहकारिता मंत्रालय, यानी मिनिस्ट्री ऑफ कोऑपरेशन बनाया गया तभी कैबिनेट में फेरबदल का इशारा मिल गया था. उसके अगले ही दिन यह उठापटक हो गई.
कैबिनेट में 36 नए चेहरे हैं, सात पदोन्नतियां हैं और 12 इस्तीफे भी. इसने मीडिया में हेडलाइन्स और एडिटोरियल्स लूट लिए. किसी ने तालियां बजाईं, किसी ने सवाल खड़े किए. दूसरी तरफ टीम मोदी के बड़े और मजबूत होने के दावे किए गए. रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर को अलविदा कहा गया तो लोगों ने हैरत जताई. कोविड की नाकामी का ठीकरा हर्षवर्धन के सिर फोड़ा गया. ऐसे में किसी की नजर उस नए मंत्रालय पर नहीं पड़ी जिसका जिम्मा सबसे सीनियर कैबिनेट मंत्री अमित शाह को दिया गया है.
सहकारिता मंत्रालय में आपका स्वागत है
जरा एक मंत्रालय की तरफ और नजर फेर लें. यह है, कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग. यह कितना व्यापक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 27 डिविजंस हैं. 5 कार्यालय और 21 सह कार्यालय इससे जुड़े हुए हैं. सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम, 8 स्वायत्त निकाय और 2 प्राधिकरण भी इससे संबंधित हैं. यह विभाग इतना बड़ा है कि तर्जुबेकार नौकरशाह भी इसकी वजह समझ नहीं पाते.
कैबिनेट सचिवालय के कार्य आबंटन के नियमों में कहा है कि प्रशासनिक मंत्रालय अब भी अपने संबंधित क्षेत्रों की सहकारी समितियो के लिए जिम्मेदार होंगे. यानी नए मंत्रालय को रोजमर्रा की मुसीबतों से दूर रखा गया है. नीति और प्रशासन की ऐसी सीमा रेखा खींचने में मिशन मोड एप्रोच सटीक रहती है.
कार्य नियमों के मुताबिक, सहकारिता मंत्रालय सहकारिता और समन्वय की सामान्य नीति का प्रबंधन करेगा, सहयोग से समृद्धि की दृष्टि को साकार करेगा, सहकारिता आंदोलन को मजबूत करेगा और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा बनाएगा. वह सहकारिता आधारित आर्थिक विकास के मॉडल को बढ़ावा देगा और उसके सदस्यों को समझेगा कि उन पर देश के विकास की जिम्मेदारी है.
मंत्रालय का जो काम बताया गया है, वह बहुत अस्पष्ट है और अमित शाह जैसे मंत्री की क्षमता से काफी कमतर लगता है. यह दो बातों से महसूस होता है.
पहला, इतनी व्यापक जिम्मेदारियां मिलने पर, वह जो चाहें, वह काम कर सकते हैं. वरना, सहकारिता आंदोलन के लिए सरकार कितनी प्रतिबद्ध है, इसकी असलियत सबको पता चल सकती है.
कैबिनेट सचिवालय के हवाले से पब्लिक इनफॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने अपने 6 जुलाई के नोट में कहा था कि ‘केंद्र सरकार ने समुदाय आधारित विकास भागीदारी के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता का संकेत दिया है. वित्त मंत्री की बजट घोषणा को अमल में लाते हुए सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है.’
दिलचस्प यह है कि 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने जो 62 पन्नों का बजट भाषण पढ़ा था, उसमें सहकारिता के लिए नया मंत्रालय बनाने का कोई जिक्र नहीं था. न ही उसमें समुदाय आधारित विकास के प्रति किसी प्रतिबद्धता की ओर इशारा था.
यूं देर से ही सही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शायद अपने गुरु लक्ष्मणराव इनामदार को श्रद्धांजलि दे दी है. इनामदार संघ के नेता थे, जिन्हें प्यार से सभी वकील साहब पुकारा करते थे. वह आरएसएस के संगठन सहकार भारती के संस्थापक थे जोकि भारत में सहकारी समितियों के विकास के लिए काम करता है.
इनामदार के लिए कहा जाता है कि उन्होंने मोदी को आरएसएस में बाल स्वयंसेवक बनाया था और उनके राजनीतिक गुरु वही थे. उन्हीं की वजह से मोदी ने पॉलिटिकल साइंस में बीए प्रोग्राम में दाखिला लिया था. भले ही सहकारी आंदोलन के लिए मोदी के स्नेह का कभी खुलासा न हुआ हो, लेकिन उनकी राजनीतिक निपुणता से किसे इनकार हो सकता है.
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में चुनावी शिकस्त और किसान आंदोलन के गहराते संकट के बाद भाजपा दूसरे राज्यों की तरफ नजर फेर रही है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में नए मंत्रालय बनाना उतनी सीधी सादी बात नहीं, जैसी बताई जा रही है.
इन राजनीतिक दलों को सहकारी समितियों के जरिए धन मुहैय्या होता है, और आम लोगों के बीच पहुंच भी बनती है. इनकी मदद से केंद्र की सरकार के खिलाफ मतदाताओं को खड़ा किया जा सकता है. इसीलिए उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकने की कोशिश की जा सकती है.
ऐसी जिम्मेदारियों के साथ सहकारिता मंत्रालय उस हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है जोकि विपक्ष पार्टियों की तिजोरी और संगठन, दोनों पर हमला कर सके. यह समय ही बताएगा कि प्रधानमंत्री की असली प्रतिबद्धता किसके प्रति है. देश के सहकारी आंदोलन के प्रति, या अपने गुरु की सिखाई हुई राजनीति के प्रति.
अंत में, कैबिनेट में तीन बड़ी राजनैतिक नियुक्तियां बेवजह और बेइत्तेफाक नहीं हैं. धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा, भूपेंद्र यादव को श्रम और अमित शाह को सहकारिता. जाहिर सी बात है, विद्यार्थियों, मजदूरों और किसानों की नाखुशी का जवाब देने के एक योजना तैयार कर ली गई है.
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Published: 10 Jul 2021,03:09 PM IST