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शाह को ताज, जयंत-सुरेश को मात, ये हैं मोदी कैबिनेट के लूजर और विनर

राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली तो देश के लिए ऐतिहासिक क्षण था

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
कौन बना बिग विनर और कौन बना लूजर
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कौन बना बिग विनर और कौन बना लूजर
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होकर कुछ नेता बड़े विजेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं, तो कुछ नेता मंत्रिमंडल में शामिल न होकर एक तरह से लूजर रहे हैं.

राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली तो देश के लिए ऐतिहासिक क्षण था. राष्ट्रपति भवन पहुंचकर हजारों लोग इस जश्न के गवाह बने.

यहां देखिए.. मोदी कैबिनेट में शामिल होकर कौन बना बिग विनर और कौन बना लूजर

अमित शाह बने बिग विनर

मोदी सरकार की दोबारा सत्ता में वापसी के लिए रणनीतिकार अमित शाह का खास योगदान माना जा रहा है. उनके और पीएम मोदी के नेतृत्व में ही बीजेपी ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी की है. चुनाव नतीजों के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि इतनी बड़ी जीत के बाद अमित शाह को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है और आखिरकार ऐसा हो भी गया.

इस बार चुनाव में अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर से पहली लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

(फोटो: The Quint)  

मोदी कैबिटेन के सरप्राइज मंत्री एस जयशंकर

(फोटो: The Quint)  

पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर मोदी मंत्रिमंडल के एक सरप्राइज कैंडिडेट हैं. पिछले चार दशकों में सबसे लंबे समय तक विदेश सचिव के पद पर रहे जयशंकर ने देश की विदेश नीति को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है. इसी साल मार्च में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जयशंकर को पद्मश्री से सम्मानित किया था. जब डोकलाम सीमा विवाद को लेकर चीन से टेंशन बढ़ा तो वो एस जयशंकर ही थे, जिन्होंने बीजिंग से बातचीत की कमान संभाली. उससे पहले 2007 में मनमोहन सरकार के समय अमेरिका से न्यूक्लीयर डील को संभालने वाली टीम के अहम सदस्य थे एस जयशंकर.

चुनाव हारने के बाद भी मोदी कैबिनेट में मिली जगह

भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी हरदीप सिंह पुरी अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. इसके बाद भी उन्हें मोदी सरकार में दूसरी बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. पुरी के लिए ये बड़ी जीत है. पिछली सरकार में हरदीप सिंह आवास व शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार थे. पुरी ने गुरुवार को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली.

'ओडिशा के मोदी' प्रताप चंद्र सारंगी

ओडिशा के बालासोर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने प्रताप चंद्र सारंगी ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. इन्हें 'ओडिशा का मोदी' भी कहा जा रहा है. गरीब परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले सारंगी 2004 और 2009 में ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से विधायक चुने जा चुके हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन तब हार का सामना करना पड़ा. सफेद दाढ़ी, सिर पर सफेद कम बाल, साइकिल और बैग उनकी पहचान है.

RSS के कट्टर समर्थक प्रह्लाद जोशी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर समर्थक और लंबे समय से बीजेपी के लिए काम कर रहे प्रह्लाद जोशी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं.

जोशी ने कर्नाटक की धारवाड़ लोकसभा सीट पर 205,072 वोटों के अंतर से बड़ी जीत हासिल की है. इन्होंने पहली बार 2004 में संसदीय चुनाव जीता और उसके बाद 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीतने में सफल रहे. बीजेपी की कर्नाटक यूनिट के महासचिव रहे और फिर 2013 में प्रदेशाध्यक्ष बने. इन्हें भी आप विनर की श्रेणी में रख सकते हैं.

एनडीए में शामिल आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने राज्य मंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ ली है. अठावले पिछली सरकार में मंत्री रहे हैं और इस बार एनडीए के लिए जमकर प्रचार प्रसार किया है. उन्होंने न चुनाव लड़ा, न एक सीट जीता फिर भी कैबिनेट में हैं. जाहिर तौर पर इन्हें विनर कहना चाहिए. 
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सुरेश प्रभु, जयंत सिन्हा, मेनका गांधी को बड़ा झटका

पिछली बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कई बड़े नेताओं को इस बार बड़ा झटका लगा है या ये कहे कि यह नेता बड़े लूजर रहे हैं. इनमें सुरेश प्रभु, जयंत सिन्हा, मेनका गांधी, राज्यवर्धन सिंह राठौर, अनंत हेगड़े, राधा मोहन सिंह जैसे कई बड़े नाम शामिल है.

  • सुरेश प्रभु

पहले रेलवे जैसा अहम मंत्रालय और बाद में कॉमर्स सिविल एविएशन मंत्री का कार्यभार संभालने वाले सुरेश प्रभु को इस बार मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है.

(फोटो: The Quint)  

उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला. अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में प्रभु राज्य मंत्री भी थे. लेकिन पिछली मोदी सरकार में उनकी कोई खास उपलब्धि नहीं रही. तो हो सकता है कि परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें नई कैबिनेट में जगह नहीं दी गई.

  • जयंत सिन्हा

सिर्फ प्रभु ही नहीं, जयंत सिन्हा को भी बड़ा झटका लगा है. सिन्हा ने लोकसभा चुनावों में झारखंड की हजारीबाग सीट से लगभग 5 लाख वोटों से जीत हासिल की है. लेकिन उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. पिछली सरकार में इन्होंने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और बाद में केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला था. बता दें, जयंत सिन्हा पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के बेटे हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी के बड़े आलोचक हैं.

(फोटो: The Quint)  
  • मेनका गांधी

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को 17वीं लोकसभा की मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है. ऐसी चर्चा जोरों पर है कि मेनका गांधी को प्रो-टेम स्पीकर बनाया जा सकता है. मेनका संसद के निचले सदन में आठवीं बार सांसद चुनकर आई हैं और सबसे सीनियर भी हैं.

मेनका नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री थीं. अब यह देखना है कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए वह बीजेपी की पसंद बनती हैं या नहीं. चर्चा है कि पार्टी से मतभेदों के कारण उन्हें कैबिनेट से दूर रखा गया है.

राज्यवर्धन राठौड़ और अनंत हेगड़े का नाम नई कैबिनेट में नहीं होना चौंकाता है लेकिन हो सकता है कि इन्हें कैबिनेट विस्तार में जगह मिल जाए या फिर राज्य में जिम्मेदारी मिल सकती है. पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का नाम इसलिए नहीं हैं क्योंकि उनके परफॉर्मेंस को लेकर सवाल उठे.

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Published: 30 May 2019,12:50 AM IST

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