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मोदी कैबिनेट: शाह-जयशंकर हाइलाइट और भी हैं बड़े सिग्नल

नए मंत्रिमंडल से मोदी सरकार क्या मैसेज देना चाहती है?

संजय पुगलिया
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नए मंत्रिमंडल से मोदी सरकार क्या मैसेज देना चाहती है?
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नए मंत्रिमंडल से मोदी सरकार क्या मैसेज देना चाहती है?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

पीएम मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. मोदी के साथ 57 मंत्रियों ने शपथ ली जिसमें 20 से ज्यादा नए चेहरे हैं. मोदी जी की कैबिनेट पर चर्चा की जाए तो समझने वाली बात ये हो जाती है कि जब मोदी जी ही मैसेज हैं तो पुराना एनालिसिस उतना सटीक नहीं बैठता.

पहले मंत्रिमंडल में ये बातें देखी जाती थीं कि किस राज्य, जाति या धर्म से मंत्री शामिल किए गए, क्या मिला? युवाओं को और महिलाओं को कितना मिला? इन बातों से अंदाजा लगता था कि सरकार क्या मैसेज देना चाहती है.

लेकिन मोदी सरकार 2.0 क्या मैसेज देने की कोशिश कर रही है, समझने की कोशिश करते हैं.

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात है अमित शाह का नंबर तीन पर रहना. सरकार में राजनाथ सिंह का नंबर दो पोजिशन कायम है. संकेत ये दिए जा रहे हैं कि अमित शाह को वित्त मंत्रालय दिया जा सकता है. ये बाजार के लिए काफी सकारात्मक हो सकता है. सुषमा स्वराज और अरुण जेटली मंत्रिमंडल में नहीं हैं.

सुषमा की गैरमौजूदगी में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. इनका मंत्रिमंडल में आना ये साबित करता है कि मोदी सरकार में विदेश मामलों को काफी प्राथमिकता मिली है. इससे मोदी डिप्लोमेसी का नया स्केल शुरू होते हुए देखा जा सकता है.

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राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, सदानंद गौड़ा, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल जैसे नाम दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल किए गए है. लेकिन महाराष्ट्र से तीन मराठा मंत्री चुने गए हैं. महाराष्ट्र में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. अरविंद सावंत (शिवसेना), राव साहब दानवे, संजय धोत्रे को मंत्रिमंडल में शामिल करने का अर्थ है मराठा वोटरों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश.

ऐसी ही कोशिश आंध्र में की गई है. किशन रेड्डी को मंत्रिमंडल में जगह देकर रेड्डी वोटों को अपनी तरफ लाने की कोशिश की गई है. ऐसे ही जाट और अन्य जातियों को ध्यान में रखकर हरियाणा और यूपी में कोशिश की गई है.

गुजरात से भी नए लोगों को शामिल किया गया है. केरल से मुरलीधरण को शामिल करने का संदेश भी राजनीतिक ही है. कर्नाटक में भी जमीन से जुड़े और एबीवीपी बैकग्राउंड के लोगों को शामिल किया गया है ताकि पकड़ बनी रहे.

राजस्थान में भी बदलाव देखने को मिला. अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराने वाले गजेंद्र शेखावत को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. संदेश ये है कि वसुंधरा का राजस्थान में युग समाप्त हो रहा है.

सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के अलावा महेश शर्मा , राधामोहन सिंह, सुरेश प्रभु, रामकृपाल यादव, जयंत सिन्हा, अनंत हेगड़े, सतपाल सिंह जैसे लोग इस बार कैबिनेट से गायब हैं. ऐसा भी हो सकता है कि पिछली बार कि तरह इस बार भी बाद में कुछ मंत्री शपथ लें. इस मंत्रिमंडल को अगर समझने की कोशिश करें तो बीजेपी के जनाधार को बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं.

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Published: 30 May 2019,10:41 PM IST

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