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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Elections) लगभग 3 महीने दूर है. जहां एक तरफ प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार लाडली बहना योजना, सावन में सस्ते गैस सिलेंडर, महिलाओं को पट्टे और घरों जैसे वादे पर वादे किए जा रही है, वहीं बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के मुख्यमंत्री चेहरा होने पर कुछ न कुछ ऐसा बयान दे देते हैं कि चर्चाएं तेज हो जाती हैं.
दरअसल केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर ने बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि, "कुछ चीजें मुझे तय करनी होती हैं. कुछ अध्यक्ष को. कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिसे पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करता है. जब तक कुछ तय नहीं होता तब तक कुछ कहना उचित नहीं है".
जैसा कि पिछले चुनावों में होता आया है उसके उलट इस बार की जन आशीर्वाद यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेला चेहरा नहीं हैं. तोमर ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान अकेले इस यात्रा को लीड नही करेंगे बल्कि सामूहिक नेतृत्व की बात कही गई. "जब मैंने ये कहा कि सामूहिक नेतृत्व है पर श्रेष्ठता तो शिवराज सिंह की ही है, वो हमारे मुख्यमंत्री हैं".
तोमर ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान, जिन्होंने 2018 में अकेले इस यात्रा को लीड किया था वो इस बार यात्रा के 18 दिनों में हर दिन सिर्फ आधे दिन के लिए ही सम्मिलित होंगे. तोमर के इस बयान ने बीजेपी में बिखराव, अंतर्कलह, कई धड़ों का वर्चस्व के लिए लड़ाई जैसी बातों को बल मिला है. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए आने वाला समय कठिन होता दिखाई दे रहा है.
पहले बीजेपी में चुनावी तैयारियों की जिम्मेदारी आलाकमान ने अपने हाथों में ले ली, फिर पिछले हफ्ते जब पत्रकारों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा कि क्या शिवराज सिंह चौहान ही बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, इस पर शाह ने चतुराई से सीधा जवाब न देते हुए कहा कि,
गृहमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तोमर के बयानों ने इस बात को जरूर उजागर किया है कि बीजेपी अगर 2023 में सरकार बनाने में सफल होती है, तो वो मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अपने विकल्प खुले रखना चाह रही है.
इस साल मध्य प्रदेश एसेंबली इलेक्शन के पहले से ही मध्य प्रदेश में बीजेपी के अगले मुख्यमंत्री के दावेदारों की चर्चा तेज है. कभी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम सामने आता था तो कभी राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का तो कभी 2020 में कांग्रेसी से भाजपाई हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया का.
सरकार लाडली बहना जैसी बड़ी योजना शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लॉन्च करती है, लेकिन इसके कुछ दिन बाद खबर आती है कि राज्य में बीजेपी की हालत देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व इस बार चुनाव की कमान संभालेगा. धीरे धीरे गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के दौरे बढ़ने लगते हैं. प्रदेश में केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट करने वाली टीमें आ गईं और काम संभाल लिया.
राज्य के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि
प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों हिंदुत्व के नैरेटिव को सेट करने में पूरी ताकत लगा रहीं हैं. जहां बीजेपी की नैसर्गिक प्रक्रिया अनुसार हिंदूवादी चेहरे को लेकर आगे बढ़ रही है वहीं कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस भी बजरंग सेना (हिंदुत्व के बजरंग दल की तर्ज पर बना संगठन) पुजारियों का सम्मेलन, कथित बाबाओं का चरण वंदन और अब हनुमान जी की शरण का सहारा लेते हुए दिखाई दे रही है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में अपने दौरे के बीच कहा कि सिमरिया में सिद्धेश्वर हनुमान जी की मूर्ति कमलनाथ ने नहीं बनाई बल्कि वह पहले से वहां मौजूद थी, इसी बयान को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई और शिवराज पर झूठ बोलने का आरोप लगा रही है.
इसी जवाबी कारवाई में कांग्रेस ने राजधानी भोपाल सहित कई शहरों में मुख्यमंत्री की सद्बुद्धि के लिए हनुमान पाठ कराया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि
क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान कांग्रेस में पकड़ रखने वाले एक अन्य पत्रकार ने कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह से हिंदुत्व के मुद्दे को चुनाव में हावी नहीं होने देना चाहती है.
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