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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) से पहले कैबिनेट विस्तार की खबरें आ रही हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक-दो दिन में मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) कर सकते हैं. इसको लेकर कई नामों पर मंथन भी चल रहा है. हालांकि, नए मंत्रियों को कामकाज के लिए सिर्फ डेढ़ महीने का ही वक्त मिलेगा. ऐसे में सवाल है कि कैबिनेट विस्तार के क्या मायने हैं? क्या बीजेपी इस विस्तार के जरिए विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश में है?
बता दें कि 35 मंत्रियों वाली मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्रिपरिषद में अभी चार पद खाली हैं. इन्हीं पदों को भरा जाना है. मंत्रिमंडल विस्तार की रेस में बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला का नाम सबसे आगे है. इनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है. इनके अलावा राहुल लोधी, लाल सिंह आर्य के नामों पर भी चर्चा चल रही है.
2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र की 30 में से 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं रीवा की आठ में से आठ विधानसभा सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. ऐसे में बीजेपी का इस बार भी विंध्य क्षेत्र पर फोकस है.
क्यों राजेंद्र शुक्ला मंत्री बनाए जा सकते हैं?
विंध्य क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है. मौजूदा मंत्रिमंडल में बघेलखंड/विंध्य क्षेत्र से मीना सिंह मंडावी, रामखेलावन और बिसाहुलाल सिंह मंत्री हैं. साथ ही गिरीश गौतम विधानसभा अध्यक्ष हैं.
कौन हैं राजेंद्र शुक्ला?
रीवा विधानसभा सीट से चार बार के विधायक हैं. पहले भी मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
विंध्य अंचल में BJP का बड़ा चेहरा हैं. 2003 में पहली बार विधायक बने. लगातार जीतते आ रहे हैं.
2018 के चुनाव में BJP को विंध्य में बड़ी कामयाबी मिली थी.
वहीं पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर बुल्डोजर चलाने को लेकर भी ब्राह्मणों में नाराजगी है. ऐसे में बीजेपी ब्राह्मण चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल कर उस नाराजगी को कम करने की कोशिश में जुटी है. मध्य प्रदेश में ब्राह्मणों का वोट 5% से अधिक नहीं है, लेकिन प्रदेश के 30 विधानसभा सीटों पर उनका दबदबा है. ऐसे में इन सीटों पर ब्राह्मण वोट गेम चेंजर हो सकते हैं.
हालांकि, क्विंट हिंदी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं,
महाकौशल क्षेत्र से विधानसभा की 38 सीटें आती हैं. इसमें जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले शामिल हैं. 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाकौशल इलाके में निराशा हाथ लगी थी.
ऐसे में बीजेपी गौरीशंकर बिसेन को मंत्रिमंडल में शामिल करके इस क्षेत्र के जातीय समीकरण को साधने की कोशिश में जुटी है.
कौन हैं गौरीशंकर बिसेन?
बालाघाट से 7वीं बार विधायक हैं. 1985, 1990, 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 में विधायक बने.
1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव भी जीते.
बीजेपी सरकार में मंंत्री रहे चुके हैं. इसके साथ ही विधानसभा की कई समितियों के सदस्य और सभापति भी रह चुके हैं.
25 दिसंबर 2000 से बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी रहे.
कैबिनेट विस्तार में राहुल लोधी और लाल सिंह आर्य के नामों पर भी चर्चा चल रही है. बुंदेलखंड से गोविंद सिंह, भूपेंद्र सिंह, और गोपाल भार्गव तीनों एक ही जिले सागर से मंत्री हैं. बुंदेलखंड के पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह भी मंत्री हैं. इसको बैलेंस करने के लिए राहुल लोधी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. वहीं राहुल लोधी के जरिए बीजेपी की नजर प्रदेश के ओबीसी वोटर्स पर भी है.
वहीं लाल सिंह आर्य को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. आर्य भिंड जिले की गोहद सीट से तीन बार BJP विधायक रहे हैं. पार्टी ने उन्हें इस बार भी उम्मीदवार बनाया है. वर्तमान में वो BJP SC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. दलित वोटर्स को साधने के लिए BJP कैबिनेट में शामिल कर सकती है.
प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. इस साल नवंबर में एमपी में चुनाव होने हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी कैबिनेट विस्तार के जरिए जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश में है. हालांकि, बीजेपी को इसका कितना फायदा मिलेगा, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं,
इसके साथ ही वो कहते हैं कि शिवराज सिंह ने पिछले कुछ महीनों में 'जातीय विभाजन' बहुत गहरा किया है. उन्होंने अलग-अलग समाजों के बोर्ड बनाए हैं.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता का कहना है कि, "मंत्रिमंडल विस्तार से बीजेपी को कोई फायदा नहीं मिलेगा, बल्कि असंतोष और बढ़ेगा. न तो इससे कास्ट का वोट मिलता है और न ही रीजनल बैलेंस होता है. क्योंकि विकास के लिए समय ही नहीं है उनके पास." इसके साथ ही वो कहते हैं कि,
बता दें कि वर्तमान में मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के मंत्रिमंडल में सीएम सहित 31 सदस्य हैं. संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, संख्या 35 तक जा सकती है, जो कि 230 सदस्यों वाली एमपी विधानसभा की ताकत का 15 प्रतिशत है. शिवराज सरकार का आखिरी मंडिमंडल विस्तार जनवरी, 2021 में हुआ था.
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