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Mulayam Singh: जब दो-दो बार PM बनने से चूक गए नेताजी, किन नेताओं ने किया था खेल

Mulayam Singh Yadav 1996 से 1998 के बीच दो साल तक भारत के रक्षा मंत्री रहे.

मोहन कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Mulayam Singh: जब दो-दो बार PM बनने से चूक गए नेताजी, इन नेताओं ने किया था खेला</p></div>
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Mulayam Singh: जब दो-दो बार PM बनने से चूक गए नेताजी, इन नेताओं ने किया था खेला

(फोटो: samajwadi party)

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मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के एक कद्दावर नेता थे. अपने 55 साल के पॉलिटिकल करियर में मुलायम सिंह ने यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक का पदभार संभाला. उनके राजनीतिक सफर में दो बार ऐसा मौका भी आया जब वो प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. पहला मौका था साल 1996 और इसके दो साल बाद 1998 में दूसरी बार उनका नाम प्रधानमंत्री की रेस में आया. लेकिन इन दोनों मौकों पर 'नेताजी' पीएम के पद तक पहुंचने से चूक गए.

चलिए आपको बताते हैं कैसे मुलायम सिंह यादव एक बार नहीं, दो-दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए?

1996 में किसने बिगाड़ा नेताजी का खेल?

90 के दशक में उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद मुलायम के राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी, लेकिन उन्होंने नया दांव खेल दिया. इस बार मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की जगह केंद्र की ओर रुख किया.

1996 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई थी. कांग्रेस के खाते में 141 सीटें ही आईं. वहीं बीजेपी को 161 सीटें मिलीं. समाजवादी पार्टी को 17 सीटें मिलीं. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी और सिर्फ 13 दिनों में ही गिर गई.

वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद सबकी नजर अगली सरकार पर टिकी थी. कांग्रेस ने सरकार बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके बाद सबकी निगाहें वीपी सिंह पर टिक गईं, लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया. इसके बाद बंगाल के सीएम ज्योति बसु के नाम की चर्चा उठी. लेकिन सहमति नहीं बन पाई.

वामदल के बड़े नेता हर किशन सिंह सुरजीत ने प्रधानमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव के नाम की पैरवी की. मुलायम सिंह का नाम सामने आने के बाद उनके नाम पर सहमति भी बन गयी थी.

मुलायम सिंह यादव के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो चुका था. शपथ ग्रहण का समय तक तय हो चुका था. लेकिन रात भर में ही पूरी बाजी पलट गई. कहा जाता है कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मुलायम सिंह का पत्ता काट दिया. जिसकी वजह से मुलायम देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. इसके बाद एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और मुलायम सिंह रक्षा मंत्री बने.

लालू और शरद यादव के विरोध को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल कहते हैं कि, ये व्यक्तिगत महत्वकांक्षा का ठकराव था. ऐसा कोई राजनीतिक कारण नहीं था. क्योंकि अगर उत्तर प्रदेश के किसी नेता को ये महत्व मिलता तो बिहार या दूसरे राज्यों के यादव नेताओं को इस बात का हमेशा एक मलाल रहता.

दूसरी बार क्या हुआ था?

10 महीने में ही देवेगौड़ा की सरकार गिर गई. कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद अप्रैल 1997 में इंद्र कुमार गुजराल ने देश के 12वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.

1998 आते-आते गुजराल सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे. कांग्रेस डीएमके के खिलाफ थी. कांग्रेस ने गुजराल से डीएमके को छोड़ देने को कहा लेकिन गुजराल नहीं माने. ऐसे में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और गुजराल सरकार गिर गई. इस दौरान भी प्रधानमंत्री के तौर पर नेताजी के नाम की हवा उड़ी. लेकिन इस बार भी मुलायम प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए. माना जाता है कि इसकी दो अहम वजह थी.

  1. मुलायम सिंह यादव के नाम पर दूसरे यादव नेताओं का विरोध.

  2. मुलायम के नाम पर राजनीतिक पार्टियों में विश्वास की कमी.

वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल कहते हैं कि, इस दौर में मुलायम सिंह को लेकर एक अवधारणा बन गई थी कि वो राजनीतिक तौर पर विश्वसनीय नहीं हैं. अगर दूसरे नेता मुलायम की बातों पर भरोसा करके उनका समर्थन करते भी तो कोई यह नहीं जानता था कि वो प्रधानमंत्री बनने के बाद क्या करेंगे. कोई आश्वस्त नहीं हो पाया था कि मुलायम जैसा कह रहे हैं वैसा ही करेंगे. उनके ऊपर विश्वास की कमी होना भी उनके प्रधानमंत्री न बनने की एक बड़ी वजह है.

इसके साथ ही मणिलाल कहते हैं कि जब तक मुलायम राजनीति में सक्रिय रहे कोई यह तय नहीं कर पाया कि वो आखिरकार किसकी तरफ हैं. कभी-कभी उनके एक्शन से लगता था कि वो बीजेपी और हिंदुत्व के धुर विरोधी हैं. तो कभी लगता था कि वो एक तरह का हिंदुत्व चाहते भी थे, जो कि बना रहे और उसका समर्थन होता रहे.

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मुलायम सिंह यादव 1996-98 तक रक्षा मंत्री रहे

मुलायम सिंह यादव देवेगौड़ा और इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार में 1996 से 1998 के बीच दो साल तक भारत के रक्षा मंत्री रहे. जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान की तुलना में चीन को भारत का बड़ा दुश्मन बताया था. वह अपनी इस बात पर हमेशा कायम रहे.

रक्षा मंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, "रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने भारत को मजबूत बनाने का काम किया."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव भारत के पहले रक्षा मंत्री थे जो सियाचिन ग्लेशियर पर गए थे. कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के रक्षामंत्री रहते हुए पाकिस्तान ने उन दो सालों में सीजफायर नहीं किया था. इसके साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना ने चीन को 4 किलोमीटर पीछे ढकेल दिया था.

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