advertisement
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) नहीं रहे. नोएडा से सैफई तक उनके कार्यकर्ता रो रहे हैं. तस्वीरें गवाह हैं कि ये शोक राजनीतिक शिष्टाचार से परे है. हाल फिलहाल किसी नेता के निधन को कार्यकर्ता इस कदर अपना निजी नुकसान मानें, ये देखने को नहीं मिला है. क्विंट ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से जानने की कोशिश की कि आखिर वो क्या बात है जो उन्हें नेताजी के इतने करीब लाती है.
2005 से समाजवादी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता हिमांशु वाजपेयी कहते हैं कि नेताजी जैसा कोई दूसरा नहीं होगा. वो कहते हैं- आज समाजवादी पार्टी ने अपना दीदावर खोद दिया, अपना हौसला खो दिया, अपनी ताकत खो दिया. उनके रास्ते पर चलना ही श्रद्धांजलि होगी.
समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता आलोक त्रिपाठी ने बताया -
'' मुलायम हमेशा अभिभावक की तरह पेश आए. वो माइक पर बुलाकर बोलना सिखाते थे. एक बार कार्यालय में मौलिक अधिकारों के बारे में पूछा. फिर उन्होंने बताया कि आपको अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानना चाहिए.''
लखनऊ में समाजवादी पार्टी से विधायक रहे रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि वो आपातकाल में 20 महीने नेताजी के साथ जेल में रहे. जब मुलायम पहली बार सीएम बने तो मैं लखनऊ से विधायक बने. मुलायम सिंह यादव एक जन आंदोलन का नाम था. वो नेताजी के बारे में कहते हैं.
''नाम मुलायम है लेकिन काम बड़ा फौलादी है, हर जालिम से टकराने का वीर मुलायम आदि है''
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined