advertisement
Lok Sabha Election 2024: चुनाव कई मायनों में खास होता है, कई बार सीट तो कई बार दावेदारों और प्रत्याशियों को लेकर. कुछ ऐसी ही तस्वीर बिहार के मुंगेर की है, जहां पर सीट से ज्यादा चर्चा आरजेडी प्रत्याशी की हो रही है. वजह है प्रत्याशी का पति, जिसने टिकट मिलने से कुछ दिन पहले ही उनसे शादी रचाई है.
हालांकि, पढ़कर आपको आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन यकीन मानिए बात सच है, मुंगेर, सीट से ज्यादा प्रत्याशी के पति की वजह से चर्चा में है.
दरअसल, बिहार की मुंगेर सीट पर NDA की तरफ से जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर के मौजूदा सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह मैदान में हैं तो वहीं, दूसरी तरफ 'INDIA' ब्लॉक की तरफ से राष्ट्रीय जनता दल की प्रत्याशी हैं अनीता देवी महतो, जो बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं.
बाहुबली अशोक महतो के नाम कई नरसंहार के मामले दर्ज हैं. वो पिछले साल 10 दिसंबर 2023 को नवादा जेल ब्रेक कांड में 17 साल की सजा काट बाहर निकले हैं. उनकी नवादा जेल ब्रेक कांड सहित कई संगीन मामलों में संलिप्तता का आरोप था.
नवादा जेल ब्रेक कांड में निचली अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था, जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट गए और वहां से उन्हें जमानत पर रिहा किया गया है.
हालांकि, उन पर दर्ज कई मामले सबूतों के अभाव में खत्म हो गए हैं लेकिन कई गंभीर केस अभी भी दर्ज हैं, जिसके वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
ऐसे में महतो ने टिकट के ऐलान से कुछ दिन पहले 62 साल की उम्र में शादी रचा ली.
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, अशोक महतो कुछ दिन पहले ही अनीता देवी (46) से शादी की है, जो दिल्ली में रेलवे अस्पताल में नौकरी कर रही थीं. उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए नौकरी से इस्तीफा दे दिया है.
BBC से अनीता देवी कहती हैं, “मेरी शादी घर, परिवार और समाज के लोगों की पहल से हुई है. मुझे नहीं पता था कि शादी के बाद चुनाव लड़ना पड़ेगा. लेकिन पहले भी मैं सेवा कर रही थी और राजनीति भी सेवा का एक माध्यम है.”
वहीं, अशोक महतो पर ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ नाम से एक वेब सीरीज भी बनी है, जो साल 2022 में आई है. इस वेब सीरीज में आईपीएस अमित लोढ़ा (करण टैक्कर) और चंदन महतो की कहानी दिखाई गई है. वेब सीरीज का चंदन महतो रियल लाइफ में कुख्यात अशोक महतो है. इस सीरीज में चंदन महतो की प्रेम कहानी भी दिखाई गई थी. लेकिन रील से अलग रियल जिंदगी में जेल से छूटने के बाद अशोक महतो ने शादी की.
मुंगेर में वोटिंग चौथे चरण में 13 मई को है. यहां के सियासी इतिहास की बात करें तो, गंगा के किनारे बसा यह इलाका शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था.
1952 से 1962 तक कांग्रेस का सीट पर कब्जा था. लेकिन 1964 और 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने यहां पर कब्जा जमा लिया. इसके बाद 1977 में, जब देश में आपातकाल के बाद कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा और जनता पार्टी की लहर थी, उसको छोड़ दें तो 1971, 1980, 1984 में मुंगेर को कांग्रेस ने फिर से अपनी झोली में डाल लिया. लेकिन इसके बाद कभी दोबारा कांग्रेस मुंगेर नहीं जीत पाई.
1989 में जनता दल, 1991 में CPI, 1996 में समता पार्टी, 1998 में आरजेडी, 1999 में जेडीयू, 2004 में आरजेडी, 2009 जेडीयू, 2014 में एलजेपी और 2019 में जेडीयू ने मुंगेर में जीत हासिल की.
वहीं, 2019 में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, जहां पर पार्टी दूसरे स्थान पर थी. ललन सिंह को 5,28,762 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की नीलम देवी को 3,60,825 वोट मिले थे. दोनों का वोट शेयर क्रमश: 51.03, 34.82 प्रतिशत था.
ललन सिंह स्वयं भूमिहार जातीय से हैं, जबकि विपक्षी अनीता देवी महतो कुर्मी समाज से हैं. हालांकि मुंगेर में भूमिहारों के अलावा कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटर भी अच्छी तादाद में हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined