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मंत्री, सांसद से लेकर मंत्रियों पर रडार, क्या इसके पीछे है केंद्र सरकार?

आरोप लग रहे हैं कि बीजेपी अब ED के सहारे महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.

ऋत्विक भालेकर
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong><strong>महाराष्ट्र में ताबड़तोड़ ED समन के पीछे की कहानी क्या है?</strong></strong></p></div>
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महाराष्ट्र में ताबड़तोड़ ED समन के पीछे की कहानी क्या है?

(फोटो: Altered by Quint hindi)

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महाराष्ट्र की सियासत एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ED के इर्द गिर्द घूम रही है. महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्री, नेता और अब कुछ खास अधिकारियों पर ED नकेल कसने की पूरी तैयारी में दिख रही है. आए दिन सरकार से जुड़े किसी ना किसी शख्स को ED समन भेज कर पेश होने के फरमान जारी कर रही है. आरोप लग रहे हैं कि बीजेपी अब ED के सहारे महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.

आइये सबसे पहले नजर डाले आखिर कौन - कौन ED के रडार पर है ?

शिवसेना के लोग ED के सीधे निशाने पर हैं. पिछले कुछ दिनों में शिवसेना के एक मंत्री और दो सांसदों को ED ने समन भेजा है. इनमें परिवहन मंत्री और सीएम उद्धव ठाकरे के करीबी अनिल परब ने 28 सितंबर को मुंबई स्थित ED कार्यालय में हाजिरी लगाई. परब को दूसरी बार समन मिला था. एंटीलिया बम धमकी मामले में गिरफ्तार पूर्व एपीआई सचिन वाझे ने परब पर ट्रांसफर और एक्सटॉर्शन रैकेट चलाने के आरोप लगाए हैं. आठ घंटे की पूछताछ के बाद अनिल परब को फिलहाल छोड़ दिया गया है.

सांसद आनंदराव अडसुल की सिटी को-ऑपरेटिव बैंक में 180 करोड़ रुपये के कथित घोटाले मामले में जांच चल रही है. इस मामले में ED ने अडसुल के मुंबई स्थित आवास पर छापा मारा. छापा पड़ते ही अडसुल की तबियत खराब हो गई और उन्हें मुंबई के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. बताया जा रहा है कि ED के अधिकारी अस्पताल में लगातार मौजूद हैं और अडसुल के डिस्चार्ज होते ही पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की तैयारी में हैं. अडसुल ने ED के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

यवतमाल-वाशिम से सांसद भावना गवली को भी ED ने 4 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है. मामला गवली से जुड़े कुछ खास न्यासों में कथित धोखाधड़ी का है, जिनमें 18 करोड़ की हेराफेरी करने और जालसाजी से एक न्यास को निजी कंपनी में तब्दील करने का आरोप है. इस मामले में गवली के सहयोगी सईद खान को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है. अब निशाने पर भावना गवली हैं.

इसके अलावा ED ने एनसीपी के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को कई बार समन भेजा है. लेकिन देशमुख एक भी बार ED के सामने हाजिर नहीं हुए. पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली का हुक्म देने का आरोप लगाया था. जिसके लिए ED देशमुख की तलाश में है. सूत्रों की मानें तो ED ने देशमुख के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी कर दिया है. इस मामले में अब तक देशमुख के PA कुंदन शिंदे और पीएस संजीव पलांडे को गिरफ्तार किया गया है. ED की एक आंतरिक जांच रिपोर्ट लीक करने के मामले में देशमुख के वकील और दामाद को भी हिरासत में लिया गया था. अब देशमुख से जुड़े मामले में गृह विभाग के डिप्टी सेक्रेट्री कैलाश गायकवाड़ को भी ED ने समन जारी कर पेश होने को कहा है.

सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने महाराष्ट्र सरकार में शामिल तीनों पार्टियों के मंत्रियों के प्रॉपर्टी डिटेल्स खंगालने शुरू कर दिया हैं. कुछ मंत्रियों के करीबियों पर लगातार रेड भी मारी जा रही है. कहा जा रहा है कि आईटी सबूत जुटा कर मामले ED को दे देगी.

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ED के कार्रवाई के क्या हैं संकेत?

बहुमत के बावजूद सत्ता से दूर रही बीजेपी एमवीए सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का एक मौका नहीं छोड़ती. पिछले दो सालों में सरकार में शामिल कई मंत्रियों पर बीजेपी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. लेकिन इन मामले में ED का रोल बहुत महत्वपूर्ण रहा है.

एमवीए के नेताओं ने पहले भी ED की जांच और भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर महाराष्ट्र सरकार पर दबाव डालने की कोशिशों के आरोप केंद्र पर लगाए हैं.

महाराष्ट्र में कुछ ही दिनों में निकाय चुनाव होने वाले हैं. इनमें 15 से ज्यादा महानगर निगम हैं. महाराष्ट्र में इसे मिनी विधानसभा चुनाव के रूप में देखा जा रहा है. पिछले फडणवीस सरकार में ज्यादातर लोकल बॉडी चुनावों में बीजेपी ने बाजी मार ली थी. लेकिन अब एमवीए सरकार आने के बाद तीनों पार्टियों को टक्कर देना बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी. ED की सक्रियता के पीछे यही सियासत देखी जा रही है.

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