advertisement
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का असली बॉस कौन? इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार, 6 अक्टूबर को भारत चुनाव आयोग (ECI) में सुनवाई हुई. पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर चाचा (शरद पवार) और भतीजे (अजित पवार) के दावों को लेकर दायर याचिका पर दोनों गुटों ने अपनी-अपनी दलीलें दी. बता दें कि दोनों गुटों के बीच विवाद की शुरुआत जुलाई में हुई थी जब अजित पवार ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए चुनाव आयोग का रुख किया था. इसी मामले में शुक्रवार को चुनाव आयोग में सुनवाई हुई. अगली सुनवाई सोमवार, 9 अक्टूबर को होगी.
चुनाव आयोग में सुनवाई के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अपने वकील अभिषेक मनु सिंघवी के साथ कार्यालय से बाहर निकले. इस दौरान मीडिया से बातचीत में सिंघवी ने कहा, "शरद पवार जी हमारे साथ खड़े हैं...चुनाव आयोग के समक्ष मुख्य रूप से 2-3 बातें हुई हैं... हमने कहा कि पहले प्राथमिक रूप से हमें सुनें और फिर निर्णय करें कि कोई विवाद है या नहीं...उनकी दलीलों पर सुनवाई अब सोमवार को होगी."
सिंघवी ने दावा कि अजित पवार गुट की ओर से गलत और झूठे दस्तावेज दायर किए गए हैं. उन्होंने कहा कि कई मृत व्यक्तियों को, दूसरी पार्टी के लोगों को, दूरदराज के लोगों को अपने गुट का बताया है.
उन्होंने आगे कहा कि "हमने चुनाव आयोग के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि आपने हमारी बात सुने बिना ही पार्टी को विभाजित करने का निर्णय लिया है. पहले हमारी बात सुनें और निर्णय लें. हमने पहले ही प्रारंभिक विरोध किया है."
सिंघवी ने आगे बताया कि चुनाव आयोग ने कहा है कि इस विरोध को प्राथमिक नहीं माना जा सकता है. लेकिन याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखने के बाद चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि आपकी सभी दलीलें सुनी जाएंगी.
सिंघवी ने आगे बताया कि,
शरद पावर की ओर इशारा करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि "आज अगर NCP कोई है, NCP जो बनी, NCP की योजना की, NCP की रचना की, NCP को जिसने बढ़ाया, NCP का चेहर वो मेरे साथ खड़े हैं."
वहीं, पार्टी और सिंबल पर सुनवाई से पहले NCP गुट ने दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन किया. इस दौरान शरद पवार ने दिल्ली में पार्टी की वर्किंग कमेटी की मीटिंग में कहा कि...
जुलाई 2023 में अजित पवार ने शरद पवार से बगावत की थी और शिंदे-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद अजित पवार गुट ने पार्टी के नाम और सिंबल पर अपना दावा कर दिया था. अजित पवार ने 40 विधायकों के समर्थन से खुद को पार्टी का नया प्रेसिडेंट भी घोषित कर दिया था. वहीं, शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से कहा था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है. सिर्फ कुछ शरारती लोग अपने व्यक्तिगत हितों के लिए पार्टी से अलग हुए हैं.
दरअसल, इस कहानी की पटकथा साल 2019 से ही लिखनी शुरू हो गई थी. जब नवंबर 2019 में बीजेपी के साथ सरकार बनाने की अजित पवार ने असफल कोशिश की थी. हालांकि, 2 जुलाई 2023 को अजित पवार फिर से बीजेपी, शिवसेना (शिंदे ग्रुप) के साथ सरकार बनाने में सफल रहे और अपने 37 NCP विधायकों को साथ ले गए. अजित पवार ने सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली और उनके 6 करीबी विधायक सरकरा में मंत्री बने थे.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)