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बिहार विधान मंडल बजट सत्र के चौथे दिन बिहार विधानसभा में जमकर हंगामा देखने को मिला. आरक्षण संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) पर आग बबूला हो गए. मांझी पर हमला करते हुए नीतीश ने कहा कि इसको कुछ आइडिया है क्या? बिना सेंस का कुछ भी बोल रहा है.
दरअसल, विधानसभा के अंदर आरक्षण संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान जब जीतनराम मांझी अपनी बात रख रहे थे तभी नेता सदन नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया और उन्होंने जीतन राम मांझी पर जमकर अपने गुस्से को निकालते हुए उन्हें तू-तड़ाक जैसे शब्दों से संबोधित किया.
नीतीश कुमार ने कहा, "मेरी ही गलती है कि मैंने इस आदमी को मैंने मुख्यमंत्री बनाया. ऐसे ही बोलते रहता है. इसको कुछ मालूम नहीं है. मैं कह रहा था कि उन्हीं लोगों के साथ रहिए , तो ई भागकर मेरे पास चला आया था. इसको यहां से भगाया. 2013 में आपलोगों को जब छोड़ दिये थे और हम अकेले थे. तब इसको मुख्यमंत्री बना दिये. उसके दो महीने बाद ही मेरी पार्टी के लोग बोलने लगे कि यह गड़बड़ है. इसको हटाइए. अब कहता रहता है कि मैं भी मुख्यमंत्री था."
मामला यहीं शांत नहीं हुआ, नीतीश कुमार के द्वारा सदन में जिस तरह जीतन राम मांझी के लिए शब्दों का प्रयोग किया गया, उसके बाद से बीजेपी सहित हिंदुस्तानी एवं मोर्चा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
जीतन राम मांझी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पहले वाले नीतीश कुमार वह नहीं रह गए हैं. उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं है. अब हम राज्यपाल से मिलेंगे और ऐसे मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग करेंगे.
बीजेपी ने भी मांझी पर सीएम नीतीश कुमार द्वारा दिये गये बयान पर जमकर हमला बोला. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, "नीतीश कुमार बिहार के लोकतंत्र के लिए अब खतरा बन चुके हैं."
सम्राट चौधरी ने आगे कहा, "हम लोग बार-बार नीतीश कुमार से आग्रह कर रहे हैं कि आप बीमार हैं, आप आराम कीजिए क्योंकि बिहार के लोकतंत्र को चलाने में बहुत सी कठिनाइयां हैं, जो आगे भी देखने को मिलेगा. जीतन राम मांझी इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री बने हैं जो पहले विधायक, फिर उप मंत्री, राज्य मंत्री, कैबिनेट मंत्री हुए और तब जाकर मुख्यमंत्री बने. लोकतंत्र में कोई सबसे सटीक मुख्यमंत्री हुआ तो वह जीतन राम मांझी हुए. जबकि नीतीश कुमार ने एक भी आंदोलन नहीं किया लेकिन बीजेपी की कृपा से आज वह भी मुख्यमंत्री बने हुए हैं."
वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार के बचाव में उतर आये. तेजस्वी यादव ने कहा, "राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं. नीतीश कुमार का कहना था कि उन्होंने ही जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था और उनके बेटे को भी बिहार सरकार में मंत्री बनाने का काम किया था. मगर बीजेपी हमेशा मुख्य मुद्दे को मोड़ना चाहती है इसलिए आज के ऐतिहासिक फैसले के दिन भी इस तरह के बातों को वह हवा दे रही है."
तेजस्वी ने आगे कहा, "बीजेपी जिन शब्दों का प्रयोग हमारे और हमारे पिताजी के ऊपर करती है, अघर उसे हम रिकॉर्ड में ला दें तो. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं होगा. राजनीति में आरोप- प्रत्यारोप रूप लगाते रहते हैं."
बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने भी जनता दल यूनाइटेड की तरफ से मोर्चा संभालने की कोशिश की. अशोक चौधरी ने कहा कि बीजेपी दलित का हितौशी बनती हैं. लेकिन मांझी को सीएम नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया था. उस समय बीजेपी का कोई सहयोग नहीं था. अगर दलितों की हितैषी भारतीय जनता पार्टी बनती है. तो जनक राम को नेता विरोधी दल सदन में क्यों नही बना देती. बीजेपी अक्सर मुख्य मुद्दों को हटाकर छोटे मुद्दों को लपकने का काम करती है.
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