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लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी एकता को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली से लेकर कई राज्यों की राजधानी नाप चुके हैं. इस दौरान वे झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा भी पहुंच चुके हैं, तो उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव से भी मिल चुके हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में आदिवासी, राजद और समाजवादी पार्टी के वोट बैंक का साथ मिला तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू NDA के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी और राज्य की 40 में से 39 सीट पर एनडीए के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. जबकि, झारखंड में 14 सीटों में से 12 सीटें बीजेपी और आजसू गठबंधन को मिला था.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी विपक्षी से एकजुटता की मुहिम का हिस्सा बनने के लिए पहले दौर की सकारात्मक बातचीत हो चुकी है. इस गठबंधन में झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा सकारात्मक नजर आई है, लेकिन झारखंड कांग्रेस उहापोह की स्थिति में है.
जदयू के नेता और बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने दावा करते हुए कहा कि...
वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी तंज कसते हुए कहा कि "विपक्ष की एकता मुहिम में बाराती और सहबाला सभी तैयार है लेकिन दुल्हे का पता ही नहीं हैं."
हालांकि, नीतीश कुमार ने खुद को किसी पद की चाहत से अलग कर लिया है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से खड़ा कर उस सवाल का मुकम्मल जवाब दिया जा सकता है, जिसमें पूछा जाता है कि विपक्ष के पास पीएम फेस कहां है?
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