ADVERTISEMENTREMOVE AD

ममता के बाद अखिलेश से मुलाकात, विपक्ष की मुहिम में 'पंच' क्यों बने नीतीश कुमार?

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

24 अप्रैल को 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर एक बार मंथन हुआ. इसके नायक बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar). उन्होंने कोलकाता पहुंचकर सबसे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और फिर देर शाम लखनऊ पहुंचकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले. इन दोनों ही मुलाकातों में नीतीश कुमार के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

विपक्ष को एकजुट करने की कवायद

दोनों ही मुलाकातों को देखें तो, यही समझ आता है कि बीजेपी के खिलाफ सभी दलों को एकजुट करने की कोशिश है. कोलकाता में नीतीश कुमार से मिलने के बाद ममता बनर्जी ने कहा, "सभी विपक्षी दल आगामी चुनावों में BJP के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे. हमारा कोई व्यक्तिगत अहंकार नहीं है, हम सामूहिक रूप से मिलकर काम करना चाहते हैं."

लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए और बीजेपी को हटाने में हम आपके (नीतीश कुमार) साथ हैं. बीजेपी हटे, देश बचे, उस अभियान में हम आपके साथ हैं.
अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी

अखिलेश से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा, "अधिक से अधिक पार्टियों के साथ बात हो रही है. हमने तय किया है कि ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को देश में हम एकजुट करें और मिलकर सब काम करें ताकि देश आगे बढ़े और बीजेपी से देश को मुक्ति मिले. हम सब एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे."

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

लखनऊ में नीतीश-अखिलेश और तेजस्वी ने पीसी की.

(फोटो-तेजस्वी यादव/ट्विटर)

क्यों पहल कर रहे है नीतीश कुमार?

मौजूदा स्थिति को देखें तो यही लगता है कि विपक्ष को भी समझ आ रहा है कि बिना एक साथ आये, बीजेपी का मुकाबला करना आसान नहीं है. लेकिन इसकी कोशिश कांग्रेस की बजाए नीतीश कुमार कर रहें, पर आखिर क्यों?

द क्विंट के राजनीतिक संपादक आदित्य मेनन ने इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा:

0

गैर-NDA दलों को मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जा सकता है.

  • कांग्रेस के सहयोगी- DMK, RJD, JDU, JMM, NCP, JD-U, IUML, MDMK, VCK, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, नेशनल कॉन्फ्रेंस आदि.

  • कांग्रेस विरोधी से अधिक बीजेपी विरोधी दल- समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, AIUDF, JKPDP, AAP और BRS इस लिस्ट में शामिल हैं.

  • ऐसी पार्टियां जो कांग्रेस और बीजेपी दोनों से दूर हैं -TDP, BSP, JDS, AIMIM और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी.

  • वे दल जो बीजेपी विरोधी से अधिक कांग्रेस विरोधी हैं- YSCRP, BJD, शिरोमणि अकाली दल

मौजूदा वक्त में कांग्रेस के पास सेकेंड कैटेगरी पार्टियों का भी समर्थन नहीं है. उनमें से किसी ने भी सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के साथ चुनाव से पहले गठबंधन की इच्छा नहीं जताई है.

यहीं से नीतीश कुमार तस्वीर में उभरकर आते हैं. दूसरी, तीसरी और यहां तक कि चौथी कैटेगरी की कई पार्टियों से उनके अच्छे संबंध हैं. जो दल कांग्रेस से बात नहीं करना चाहते, वे नीतीश कुमार के साथ बातचीत के लिए तैयार हो सकते हैं.

ऐसे में नीतीश कुमार भले ही, ये कहें कि वो प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं है. लेकिन वो जानते हैं कि चुनाव के बाद अगर ऐसी स्थिति बनी तो, उनके नाम पर सहमती बन सकती है. इसके अलावा, नीतीश कुमार का लंबा और निर्विवाद राजनीतिक अनुभव भी, उनकी दावेदारी को मजबूत करता है.

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

कोलकाता में नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी से मुलाकात की.

(फोटो-PTI)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

विपक्ष की क्या है मौजूदा स्थिति?

लोकसभा चुनाव 2024 में अभी करीब 11 महीने का वक्त बाकी है. लेकिन विपक्ष अभी से कोशिश में जुट गया है. उसको लगता है कि जितनी पहले चीजें साफ होंगी, उतनी आसानी से मुकाबला किया जा सकेगा. लेकिन यहां ये भी जानना जरूरी है कि बीजेपी का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे विपक्ष की लोकसभा में क्या स्थिति है.

कांग्रेस-53, DMK-24, TMC-23, JDU-16, BJD-12, TRS-9, NCP-5, SP-3, CPIM-3, NC-3, TDP-3, JDS-1, JMM-1, PDP-0 और RJD-0 सांसद हैं. यानी कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी के 303 एमपी के मुकाबले विपक्ष के पास 156 सांसद हैं.

क्यों साथ आ रहा विपक्ष?

दरअसल, 2014 के बाद बीजेपी के खिलाफ कई बार मोर्चा बनाने की कोशिश हुई है. जिसमें विधानसभा चुनावों में सफलता भी हासिल हुई, लेकिन ये राष्ट्रीय स्तर पर अब तक आकार नहीं ले पाया है.

कुछ दिन पहले तक TMC और SP अकेले चुनाव लड़ने का राग अलाप रहे थे. पर हाल की हुई घटनाओं के बाद स्थिति बदल गयी है. सागरदिघी सीट पर हार और फिर नेताओं और मंत्रियों पर कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हो रही कार्रवाई ने TMC की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

वहीं, समाजवादी पार्टी भी अतीक अहमद से लेकर तमाम मोर्चों पर घिरती नजर आ रही है, जिसके बाद से स्थिति बदल गयी है. इसके अलावा

  • मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि के बाद सांसदी जाना.

  • दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और कथित शराब घोटाले के मामले में BRS की नेता के कविता और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल से CBI की पूछताछ.

  • जमीन के बदले नौकरी घोटाला में लालू परिवार से पूछताछ.

इन सभी घटनाओं ने विपक्ष को सोचने को मजबूर कर दिया है. यही कारण है कि अब सभी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

विपक्ष को कैसे एकजुट करने की कोशिश?

सोमवार (24 अप्रैल) की मुलाकात से पहले, नीतीश कुमार ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर राहुल गांधी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी. इसके बाद, वो दिल्ली के सीएम और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मिले थे.

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर राहुल गांधी से मिले नीतीश कुमार.

(फोटो-तेजस्वी यादव/ट्विटर)

वहीं, समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान अखिलेश और ममता बनर्जी की भी कोलकाता में मुलाकात हुई थी. इसके बाद ममता ने ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी से भी मिली थी, जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कुछ महीने पूर्व तेलंगाना के सीएम केसीआर से भी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में मुलाकात की थी.

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

अखिलेश यादव ने 17 मार्च को ममता बनर्जी से मुलाकात की थी.

(फोटो-अखिलेश यादव/ट्विटर)

इससे पहले DMK प्रमुख और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के जन्मदिन के मौके पर भी तमाम विपक्षी दल के नेता इकट्ठा हुए थे.

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

1 मार्च को स्टालिन के जन्मदिन पर एकजुट हुए विपक्षी दल के नेता.

(फोटो-एमके स्टालिन/ट्विटर)

3 अप्रैल को स्टालिन द्वारा ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस (AIFSJ) के जरिए जातिगत जनगणना की मांग को उठाने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें भी कई दलों के नेता शामिल हुए थे.

Nitish Kumar के साथ RJD नेता तेजस्वी यादव मौजूद रहे, जो संकेत दे रहा था कि तेजस्वी हर कदम पर नीतीश के साथ हैं.

3 अप्रैल को AIFSJ की बैठक में विपक्षी दल के नेता शामिल हुए.

(फोटो-एमके स्टालिन/ट्विटर)

इसके अलावा, कुछ महीने पूर्व भी दिल्ली आकर नीतीश कुमार ने कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. वहीं, पिछले साल चौधरी देवीलाल की जयंती के मौके पर भी तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया गया था. हालांकि, तब TMC-AAP इसमें शामिल नहीं हुए थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या एकजुट हो पायेगा विपक्ष?

फिलहाल अभी देखें तो, विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहा है. लेकिन जमीनी तौर पर ये अभी टेढ़ी खीर नजर आ रहा है. क्योंकि कर्नाटक चुनाव में JDS कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है. इस साल के अंत में राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. वहां पर AAP कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.

दिल्ली और पंजाब में AAP कांग्रेस को हटाकर ही सत्ता में आयी है. गुजरात, गोवा और हिमाचल प्रदेश में AAP ने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया था. वहीं, बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस एक-दूसरे के विरोधी हैं. UP में समाजवादी पार्टी और बीएसपी में तकरार जारी है. महाराष्ट्र में सावरकार के मुद्दे पर शिवसेना (UBT) कांग्रेस को आंख दिखा रही है. ऐसे में इन दलों का एकसाथ आना आसान नहीं लग रहा है.

अगर यह मान भी लिया जाये कि ये सभी दल राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट हो भी गये तो राज्यों के चुनाव में क्या ऐसा होगा? वहीं, चेहरे को लेकर भी अभी स्थिति साफ नहीं हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये दल वाकाई में एकजुट हो पायेंगे या सिर्फ मीटिंग-मीटिंग का ही खेल चलता रहेगा. तस्वीर जो भी हो, लेकिन इसका जवाब इन दलों को जल्द ही खोजना होगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×