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लखनऊ की एक विशेष अदालत ने बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी और कांग्रेस नेता अजय राय समेत छह लोगों के खिलाफ वर्ष 2015 में हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में शनिवार को गैर जमानती वारंट जारी किया. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिये एक फरवरी की तारीख तय की है.
कांग्रेस ने अगस्त 2015 में राजधानी स्थित लक्ष्मण मेला मैदान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इसी दौरान करीब पांच हजार पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने विधान भवन की तरफ कूच कर दिया. जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने उन पर पथराव किया था. इस घटना में पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ—साथ आम लोगों को भी चोटें आयी थीं.
रीता बहुगुणा जोशी उस वक्त कांग्रेस की नेता थीं. मामले की जांच के बाद पुलिस ने 25 दिसम्बर 2015 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. मगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले के त्वरित निपटारे के आदेश के बावजूद रीता और कांग्रेस नेता अजय राय समेत कई लोग अदालत में हाजिर नहीं हुए. इस वजह से उन पर आरोप तय नहीं हो सके.अदालत ने इसे न्यायिक कार्यवाही का उल्लंघन मानते हुए रीता और राय समेत छह आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया.
रीता बहुगुणा जोशी यूपी बीजेपी की बड़ी नेता और कैबिनेट मंत्री हैं. बीजेपी ज्वाइन करने से पहले वह यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा यूपी के सीएम थे और उनकी मां कमला बहुगुणा भी सांसद रहीं.
कांग्रेस में रीता बहुगुणा जोशी 24 सालों तक रहीं लेकिन मतभेदों के बाद उन्होंने 20 अक्टूबर 2016 को बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. रीता ने विधानसभा चुनावों में मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को हराया था. यूपी के ब्राह्मण मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. वह इस वक्त यूपी बीजेपी में बड़ा चेहरा हैं.
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