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दिल्ली के जंतर मंतर पर रविवार को एकत्रित हुए पूर्वोत्तर के लोगों ने दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों को हिंदू बनाम मुस्लिम रंग दे दिया गया है और मूल जातीय निवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे क्षेत्र की आवाज को नजरअंदाज कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि छात्रों और नागरिक संस्थाओं के सदस्यों समेत प्रदर्शनकारी पुलिस की ‘‘बर्बरता’’ से काफी दुखी और परेशान हैं, लेकिन ‘‘हमारा प्रदर्शन अपने अधिकारों के लिए है.’’ इस मौके पर मौजूद त्रिपुरा के राजपरिवार के वंशज प्रद्योत देब बर्मन ने कहा, ‘‘हम दूसरों को अपना एजेंडा हाइजैक नहीं करने देंगे. हम यहां अपने लोगों के बारे में बोलने के लिए आए हैं.’’
एक प्रदर्शनकारी ने कहा-
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि अगर सीएए के जरिए नागरिकता दिए जाने वाले समुदायों की सूची में मुस्लिमों को शामिल कर लिया जाए तो वे प्रदर्शन नहीं करेंगे. लेकिन हम फिर भी प्रदर्शन करेंगे.’’ एक प्रदर्शनकारी डेनिस ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों के लिए सीएए का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम से कहीं आगे का है. उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में मूल निवासी लोग आबादी के केवल 30 प्रतिशत हैं. अन्य क्षेत्रों और पड़ोसी देशों के लोग राज्य में आ रहे हैं.’’ प्रदर्शनकारियों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार किए गए आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई और अन्यों को रिहा करने की भी मांग की.
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