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पटना में 15 राजनीतिक दलों की बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गया है. इसके अलावा, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर राजनीति में जोरदार वापसी कर रहे हैं. इन दोनों नेताओं ने जिस तरह से बैठक में सूत्रधार की भूमिका निभाई, वह बिहार और देश में बीजेपी के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इन दोनों नेताओं का राज्य की जनता से जुड़ने का अनोखा अंदाज है. यह 2015 के विधानसभा चुनाव में देखा गया था, जब उन्होंने बिहार में नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोक दिया था.
बीजेपी के लिए 2024 की स्थिति और भी खराब है, क्योंकि सत्ता विरोधी लहर भी चरम पर है. केंद्र की बीजेपी सरकार को 2014 में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहने के लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की जोड़ी बीजेपी के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में सामने आकर खड़ी हो गई है.
नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को पटना आने का निमंत्रण देने में अहम भूमिका निभाई थी. इससे यह भी साबित हो गया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच नीतीश कुमार की स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है. उनकी छवि साफ-सुथरी है और उनके खिलाफ कोई कानूनी या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है. उन्हें इन पार्टियों का संयोजक भी घोषित किया गया, जिसका मतलब है कि वह लोकसभा चुनाव के लिए दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे.
बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि "हर जन आंदोलन के पीछे एक मजबूत व्यक्ति का हाथ होता है. बिहार अतीत में कई जन आंदोलनों का गवाह रहा है, जिसने देश में सत्तारूढ़ दलों को हिलाकर रख दिया था." चौधरी ने कहा कि...
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि "जेपी नड्डा और अमित शाह के पास हमसे कहने के लिए कुछ नहीं बचा है. इसलिए, वे कांग्रेस और शिवसेना के एक ही मंच पर आने की बात करते हैं जहां हम हैं. यह एक गैर-जिम्मेदाराना कदम है."
उन्होंने कहा कि "अगर कोई केंद्र के खिलाफ बात करता है, तो CBI, ED और आयकर उन्हें निशाना बनाते हैं. आपातकाल के दौरान ऐसा नहीं था कि इंदिरा गांधी ने इन संवैधानिक संस्थानों का इस्तेमाल किया था. केंद्र देश के लोगों, आजादी को धमकी दे रहा है."
सिंह ने कहा कि देश खतरे में है और इसलिए हम इस स्थिति से लड़ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी हमारे साथ है. ललन सिंह ने अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि...
ललन सिंह ने आगे कहा कि "जब अमित शाह पश्चिम बंगाल गए, तो उन्होंने दो-तिहाई जनादेश के साथ अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी की. उनकी पार्टी ममता दीदी के खिलाफ लड़ रही थी, वहां क्या हुआ? उन्होंने हिमाचल और कर्नाटक में भी यही भविष्यवाणी की और परिणाम क्या थे? यदि वह दावा कर रहे हैं कि 300 सीटें जीतकर मोदी जी फिर सरकार बनाएंगे तो इसका मतलब है कि वह चुनाव हार रहे हैं." उन्होंने आगे कहा कि...
वहीं, RJD प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि "पटना की बैठक में BJP मुक्त भारत की नींव रखी गई. हमारे पास आमने-सामने की लड़ाई और वोटों के बिखराव को कम करने का सरल फॉर्मूला है. हमारे पास BJP की तुलना में वोटों का प्रतिशत अधिक है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें केवल 37 फीसदी वोट मिले थे, जिसका मतलब है कि मतदाताओं में भगवा विरोधी रुझान है."
इनपुटः IANS
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