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पाकिस्तान का नाम भारतीय राजनेताओं की जुबान पर हर चुनावी सीजन में चढ़ जाता है, अब पाकिस्तान ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर एंट्री मारी है. इस बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने को लेकर पाकिस्तान को याद किया जा रहा है. बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कोशिश पाकिस्तान के इशारे पर हो रही है.
ताजा मामले की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी. लेकिन तभी राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने याद दिलाया कि अभी वो हैं. उन्होंने तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया. इसके बाद विपक्ष ने मोदी सरकार और राज्यपाल की घेराबंदी कर ली. तीखे सवालों के बाण चलने लगे. तभी मामले को हाइजैक करने की कोशिश में बीजेपी के नेता राम माधव ने कमान संभाली और मुद्दे को सीधे पाकिस्तान बॉर्डर के पार कर दिया. लेकिन खुद ही फंस गए और अब माफी भी मांग ली है.
अगर गौर से देखा जाए तो पाकिस्तान के नेताओं से भी ज्यादा भारत के नेताओं को उसकी फिक्र होती है. मतलब किसी भी मुद्दे को मोड़कर जम्मू-कश्मीर या पंजाब से होते हुए पाकिस्तान तक कैसे पहुंचाना है ये कोई इनसे सीखे. लेकिन बिना सोचे समझे एलओसी पारकर पाकिस्तान जाने की आदत नई नहीं है. इसका रिवाज तो काफी पहले से चला आ रहा है. इससे पहले भी देश के कई सीनियर नेताओं और मंत्रियों ने कई बार इसे अपनी चुनावी रैलियों का हिस्सा बनाया है.
पढ़िए पिछले कुछ सालों में राजनेताओं की तरफ से पाकिस्तान पर की गई बयानबाजी:
सबसे पहले बात करते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. जिन्होंने कांग्रेस नेताओं पर पाकिस्तान से सांठगांठ का आरोप लगाया था. जिसके बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा भी हुआ. साल 2017 दिसंबर में पीएम मोदी ने एक चुनावी रैली के दौरान आरोप लगाया था कि मणिशंकर अय्यर के घर हुई एक बैठक में पाकिस्तानी उच्चायुक्त, पाकिस्तान के विदेश मंत्री अंसारी और मनमोहन सिंह मौजूद थे. उन्होंने यह भी दावा किया था कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर भी पाक अधिकारियों के साथ इस बैठक में शामिल हुए थे. गुजरात चुनाव के दौरान पीएम ने यह पाकिस्तान एंगल जोड़ा था.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने चुनावी समीकरण के लिए जाने जाते हैं. लेकिन उन्होंने भी एक बार फिर पाकिस्तान के बहाने विपक्ष को घेरने की कोशिश की. अमित शाह ने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि क्या उन्होंने पाकिस्तान के सात अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन को अंजाम दिया है. क्योंकि दोनों ही मोदी सरकार को हटाना चाहते हैं.
अपने बयानों के लिए विवादों में रहने वाले गिरिराज सिंह तो आए दिन किसी न किसी को पाकिस्तान जाने की सलाह दे डालते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उनके उस बयान की हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि जो भी मोदी विरोधी हैं उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए.
उमा भारती के बड़बोले अंदाज से भी सब वाकिफ हैं. कभी-कभी तो वो अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोल पड़ती हैं. उन्होंने भी विपक्ष के साथ पाकिस्तान एंगल को बखूबी जोड़ा था. उमा भारती ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ मिलकर बीजेपी को हराने की साजिश रची है.
कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर ने भी राजनीति में पाकिस्तान का एंगल जोड़ दिया था. कथित तौर पर उन्होंने कहा था कि अगर 2019 में नरेंद्र मोदी फिर से चुनाव जीतते हैं तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा. इसके बाद पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया था.
कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पीएम मोदी के पाकिस्तान जाने पर विवादित बयान दिया था. उन्होंने खुद पर लग रहे पाक प्रेम के आरोपों के बाद पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था, "नवाज शरीफ की मां के पैर में नाक रगड़ने वाला मुझे देशभक्ति सिखाएगा?"
नेता हमेशा अपने राजनैतिक फायदे के लिए ही विवादित बयान देते हैं. या फिर इसके पीछे कोई पॉलिटिकल एजेंडा छिपा होता है. अब बात करते हैं कि आखिर राजनीतिक पार्टियों को पाकिस्तान एंगल से क्या फायदा होता है. दरअसल भारत से अलग होने के बाद से ही पाकिस्तान देश का सबसे बड़ा दुश्मन रहा है. देश का हर व्यक्ति इस बात से वाकिफ है. ऐसे में अपने विपक्षी को पाकिस्तान का हितैषी बताकर उसकी इमेज को डैमेज करने की कोशिश होती है. हालांकि कई बार नेता खुद अपने बयान में फंसते नजर आते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में वह इस मुद्दे को भुनाने में सफल भी होते हैं. यह बिल्कुल खुद को देशभक्त और दूसरे को एंटी नेशनल बताने जैसा ही है.
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Published: 24 Nov 2018,08:41 AM IST