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बिहार (Bihar) में हो रही जाति जनगणना (Caste Survey) पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी है. यह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इस सर्वे का काफी विरोध हो रहा था और अब हाईकोर्ट ने इस पर फिलहाल तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को कहा है.
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण एक जनगणना के समान है जिसे करने के लिए राज्य सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है.
CJI के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इसमें एक याचिका यूथ फॉर इक्वैलिटी नाम के संगठन की तरफ से दायर की गई थी.
अदालत ने कहा कि जाति आधारित सर्वे जनगणना के समान है जिसे कराने का कोई भी अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. इस तरह जाति आधारित सर्वे कराना केंद्र के अधिकार पर अतिक्रमण होगा.
न्यायालय ने कहा कि यह मामला निजता के अधिकार के मुद्दे को दर्शाता है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएं.
याचिकाकर्ता ने अदालत से इस आधार पर जनगणना पर रोक लगाने की मांग की है कि जनगणना का विषय भारत के संविधान की 7वीं अनुसूची के लिस्ट 1 में आता है और जिसके तहत केवल केंद्र सरकार ही जातीय जनगणना करा सकती है.
इस फैसले से ठीक पहले, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि, जाति आधारित जनगणना सब लोगों के राय से तय हुआ है. ये सबके हित के लिए हो रहा है. लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा इसका विरोध क्यों हो रहा है? इसका मतलब लोगों को मौलिक चीजों की समझ नहीं है. ये पहले अंग्रेजों के जमाने से तो होता ही था, ये 1931 से बंद हुआ.
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