बिहार (Bihar) में इस समय जातिगत जनगणना (Caste Based Survey) हो रही है. लेकिन लोहार जाति (Lohar Caste) ने इस सर्वे का बहिष्कार कर रही है. उनका कहना कि राज्य सरकार लोहार जाति को या तो लोहरा/लोहारा जाति (Lohra/Lohara) के अंतर्गत रखना चाहती है या फिर कमार (कार्पेंटर) जाति में. बता दें कि, लोहार जाति ईबीसी है यानी अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC).
इस सर्वे में 215 जातियों की सूची में 13 नंबर का कोड कमार (लोहार और कर्मकर) जाति का है. अगर लोहार 13 नंबर को चुनते हैं तो उन्हें जो जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा वह कमार जाति का होगा लोहार का नहीं. अब इस जाति के सर्वे में उप जाति को मान्यता नहीं है.
इसके अलावा, अगर लोहार 177 नंबर चुनते हैं तो उन्हें लोहरा और लोहारा का जाति प्रमाण पत्र जारी हो जाएगा. जबिक सुप्रीम कोर्ट एक फैसले में कह चुका है कि लोहरा और लोहारा जाति लोहार जाति से अलग है.
विश्वकर्मा समाज के नूरसराई के अध्यक्ष राजेश कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, "हमने विरोध प्रदर्शन किया, और प्रशासन को स्पष्ट किया कि हम लोहरा या लोहारा नहीं लोहार हैं. लोहरा और लोहारा तो झारखंड से हैं और वे एसटी में आते हैं. हम नहीं चाहते कि हम कमार पहचाने जाए जो कि कार्पेंटर होते हैं क्योंकि हम तो लोहार हैं."
बिहार लोहार संघ के अध्यक्ष राज किशोर शर्मा ने कहा कि, "लोहार जाति के लोग इस जाति के सर्वे का बहिष्कार करेंगे. हम कमार की उप जाति नहीं है तो हमें क्यों कमार की जाति में डाला जा रहा है."
लोहार जाति के इस विरोध पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सर्वे में शामिल ने एक अधिकारी ने बताया कि, "अब जाति को लेकर कोई बदलाव नहीं हो सकता है. ये संभव ही नहीं है."
सुप्रीम कोर्ट अपने एक आदेश में कह चुकी है कि, "लोहरा या लोहारा ये दोनों बिहार में लोहार जाति से अलग हैं. वहीं लोहरा या लोहारा ये दोनों उप जाति हैं मुंडा की जो कि छोटानागपुर के एसटी हैं."
बता दें कि 4 मई को जाति जनगणना पर रोक लगा दी गई है लेकिन यह रोक लोहार समुदाय के बिहिष्कार को लेकर नहीं लगी है.
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