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‘बीजेपी मुझसे डरती है. इसलिए मुझे जेल से निकालने को मजबूर हो गई. अगर 2014 में दलितों के वोट से बीजेपी जीती थी तो इस बार 2019 में यही दलित समाज बीजेपी को हराएगा.’
अपनी मूंछों पर ताव देते हुए दलित नेता और भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' मुस्कुराते हुए ये बातें कहते हैं. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के आरोपी चंद्रशेखर आजाद रावण 15 महीने बाद जेल से बाहर आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें दंगा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया था. लेकिन सरकार ने वक्त से डेढ़ महीने पहले ही चंद्रशेखर को रिहा कर दिया.
अब वक्त से पहले रिहाई को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. क्या चंद्रशेखर को जल्दी रिहा कर BJP दलित समाज को कोई बड़ा मैसेज देना चाह रही है? क्या चंद्रशेखर की रिहाई दलित की बात करने वाली मायावती के सिर का दर्द तो नहीं बन जाएगी? 2019 में अगला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी? क्विंट से इन सभी मुद्दों पर चंद्रशेखर ने अपनी बेबाक राय रखी.
जेल से जल्दी बाहर आने पर पूछने पर चंद्रशेखर कहते हैं, 'बीजेपी सरकार इस मामले का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है, लेकिन उसे पता नहीं है कि उन्हें अब नुकसान ही होगा. कोर्ट में मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं था, तो मुझे बाहर आना ही था.
इस सवाल पर कि क्या भीम आर्मी 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरेगी? चंद्रशेखर बताते हैं कि भीम आर्मी एक सामाजिक संगठन है और चुनाव में नहीं उतरेगी लेकिन बीजेपी को हराएगी जरूर.
जहां एक तरफ 2019 चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन की बात चल रही है, वहीं चंद्रशेखर का भी मानना है कि अगर बीजेपी को हराना है तो सबको एक साथ आना होगा.
चंद्रशेखर पर मायावती से लेकर दूसरे लोग भी बीजेपी और आरएसएस के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते रहते हैं, साथ ही जेल से वक्त से पहले छूटने को भी इसी रूप में कई लोग देख रहे हैं, जब यही बात चंद्रशेखर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने हमारे लोगों को मारा हो, जिन लोगों ने बहुजनों का अपमान किया हो, जिन्होंने मुझे डेढ़ साल तक जेल में बंद रखा हो, क्या मैं उसके साथ जा सकता हूं? ये सब दलितों को बहकाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन दलित और बहुजन समाज कोई बेवकूफ समाज नहीं है, 2019 चुनाव से पहले हो सकता है कि लोग अपने घर के बाहर लिख दें कि बीजेपी नेता का अंदर आना मना है. हम लोगों को गुमराह होने से बचाएंगे."
हां, मैं दलित समाज के एक मजबूत व्यक्ति को उस कुर्सी पर देखना चाहता हूं. सहारनपुर हिंसा के दौरान मायावती ने आपको आरएसएस का एजेंट कहा था. बुआ जी ने क्या कहा उसपर टिप्पणी नहीं. बुआ की बात को दिल से नहीं लेता.
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Published: 15 Sep 2018,07:30 PM IST