advertisement
15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2023) के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का भाषण हुआ जिसके बाद विपक्षी दलों के कई नेताओं पीएम मोदी के भाषण की आलोचना की. किसी ने कहा कि मणिपुर (Manipur) पर पीएम ने बोलने में देरी कर दी तो किसी ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को फेयरवेल स्पीच बताया.
पीएम मोदी के अगले वर्ष 15 अगस्त को इसी लाल किले से देश की उपलब्धियां आपके सामने रखने वाले बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, "वे (प्रधानमंत्री) अगले साल एक बार फिर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे लेकिन अपने घर पर फहराएंगे."
वहीं लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल नहीं होने के सवाल पर खड़गे ने कहा कि, "पहली बात मुझे आंखों से संबंधित समस्या है. दूसरी बात मुझे अपने आवास पर 9:20 को और कांग्रेस मुख्यालय में भी तिरंगा फहराना था. सुरक्षा इतनी कड़ी है कि प्रधानमंत्री के निकलने से पहले किसी और को जाने नहीं दिया जाता... मुझे लगा कि मैं यहां समय पर नहीं पहुंच पाऊंगा... समय को देखते हुए मैंने सोचा कि सुरक्षा की स्थिति और कमी के कारण वहां न जाना ही बेहतर होगा."
बिहार के उप मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आज के दिन उन लोगों को याद करते हैं उन्होंने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी लेकिन आज के दिन भी प्रधानमंत्री अपने भाषण में राजनीति को लेकर आए.
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि, "मणिपुर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने बहुत देर कर दी है. उस जिक्र में भी न्याय की प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए. न्याय का संदेश वहां पहुंच ही नहीं रहा है... प्रधानमंत्री को अगर परिवारवाद ढूंढना है तो वे अपने दल के कैबिनेट मंत्रियों से लेकर सांसद सदस्यों का ही विश्लेषण करें."
आम आदमी पार्टी के नोता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, "दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण फेयरवेल स्पीच जैसा था. मुझे लगता है कि लाल किले पर यह प्रधानमंत्री का आखिरी भाषण है. इसके बाद प्रधानमंत्री लाल किले पर जरूर आएंगे लेकिन आगे की कुर्सियों पर बैठेंगे और किसी दूसरे प्रधानमंत्री की बात सुनेंगे. ये सारी बातें (भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ कार्रवाई की बातें) बीजेपी के खोखलेपन को बताती हैं."
स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम मोदी ने वंशवाद की राजनीति की आलोचना की इसी पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि, "अगर किसी नेता या प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय दिवस और राजनीतिक कार्यक्रम के बीच अंतर नहीं पता तो यह बहुत दुख की बात है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined