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बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय टीएमसी में शामिल.
मनभेद के कयासों के बीच योगी और मोदी की मुलाकात.
प्रशांत किशोर की शरद पवार की बातचीत.
11 जून 2021. ये तारीख याद रखिएगा. एक साथ इतनी सारी सियासी घटनाएं महज संयोग भी सकती हैं, लेकिन इनमें से हर घटना के भविष्य में सियासी नतीजे निकल सकते हैं. यहां खास चर्चा पीके यानी प्रशांत किशोर की शरद पवार से मुलाकात पर करते हैं.
प्रशांत किशोर किसी सियासी पार्टी के नेता नहीं. ऐसे में पवार से उनकी मुलाकात चौंकाती है. वो सियासी रणनीतिकार की भूमिका से ''संन्यास'' ले चुके हैं, लेकिन चर्चा यही है कि वो पवार से मिलकर अपने सियासी रणनीतिकार करियर की सबसे बड़ी रणनीति बनाने गए थे.
चर्चा है कि पीके पवार के पास विपक्षी नेतृत्व का चेहरा ढूंढने के सिलसिले में गए थे. इस वक्त विपक्ष के सबसे ताकतवर नेताओं में सबसे पहला नाम ममता बनर्जी और पवार का लिया जाता है. जाहिर है कोई विपक्षी धुरी बननी है तो इसमें ममता और पवार की बेहद अहम भूमिका होगी.
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी ममता किस तेवर में हैं,इसका अंदाजा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय को टीएमसी में लाकर उन्होंने बता दिया है. चुनाव अच्छे मार्जिन से जीतने के बाद भी उनका फोकस बीजेपी पर है. हाल फिलहाल ममता कई बार विपक्षी एकजुटता की अपील कर चुकी हैं. साफ है कि वो 2024 की तैयारी में जुट चुकी हैं. एक चर्चा ये भी है कि पीके ममता के कहने पर ही शरद पवार से मिले.
चुनावी रणनीतिकार का काम छोड़ने का ऐलान करने के बाद पीके अपने लिए भी 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई बड़ी भूमिका देख रहे हों तो कोई ताज्जुब नहीं. ये अलग सवाल है कि वो गठबंधन बनने की स्थिति में किसी पार्टी में शामिल होंगे या फिर संयोजक की भूमिका चाहते हैं? प्रशांत किशोर अब तक नरेंद्र मोदी, नीतीश, जगन मोहन रेड्डी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए बतौर रणनीतिकार काम कर चुके हैं. फिलहाल वो कैप्टन अमरिंदर के सलाहकार हैं. ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों को तो वो फिर भी साथ ला सकते हैं लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होंगी कांग्रेस से बात करना.
वापस आते हैं सबसे पहले जिक्र की गई दो और घटनाओं पर. योगी और मोदी के बीच मतभेद की खबरों के बीच दोनों का मिलना और मुकुल रॉय का ममता खेमे में आना. दरअसल तीनों घटनाएं 2024 से जुड़ी हैं. ममता 2024 के लिए किलाबंदी कर रही हैं. महाराष्ट्र में बातचीत उसी दिशा में हो सकती है और दिल्ली में योगी-मोदी की मुलाकात, यूपी की सियासत पर असर डाल सकती है. यूपी में कुछ बदला तो दिल्ली हिलती ही है.
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Published: 11 Jun 2021,07:53 PM IST