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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद पूर्व राष्ट्रपति उमर अब्दुल्ला ने राज्य में जल्द से जल्द चुनाव की मांग की है. अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर विधानसभा को तुरंत भंग किया जाना चाहिए. जल्द से जल्द राज्य में चुनाव कराया जाना चाहिए. बीजेपी का भरोसा नहीं किया जा सकता.’
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्य के सभी बड़े प्रशासनिक अफसरों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में वह राज्य के मौजूदा हालातों को देखते हुए चर्चा करेंगे.
भारत के अन्य राज्यों में प्रदेश की सरकार के विफल रहने पर राष्ट्रपति शासन लागू होता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होता है. जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा-92 के तहत राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जाता है लेकिन ऐसा राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही हो सकता है.
भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता है और यह देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसके पास अलग संविधान और नियम हैं. देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. राज्यपाल शासन के अंतर्गत राज्य विधानसभा या तो निलंबित रहती है या उसे भंग कर दिया जाता है. अगर छह महीने के भीतर राज्य में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाती है तो इस व्यवस्था की मियाद को बढ़ाया जा सकता है.
बीजेपी नेता राम माधव ने आनन-फानन में बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया, ‘‘राज्य की गठबंधन सरकार में बने रहना बीजेपी के लिए जटिल हो गया था.''
माधव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से विचार - विमर्श करने के बाद गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया. कश्मीर घाटी के हालात में सुधार नहीं होने के लिए बीजेपी ने पीडीपी पर ठीकरा फोड़ा. माधव ने पिछले हफ्ते श्रीनगर के कड़ी सुरक्षा वाले प्रेस एनक्लेव इलाके में जानेमाने पत्रकार शुजात बुखारी की अज्ञात हमलावरों द्वारा की गई हत्या का भी जिक्र किया.
उसी दिन ईद की छुट्टियों पर जा रहे थलसेना के जवान औरंगजेब को अगवा कर लिया गया था और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी. ये दोनों घटनाएं ईद से दो दिन पहले हुईं.
उन्होंने कहा , ‘‘ हम पीडीपी की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे , लेकिन कश्मीर में जीवन की दशा सुधारने में वे नाकाम रहे. ''
मंगलवार को बीजेपी के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद जम्मू - कश्मीर में तीन साल पुरानी महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई. सरकार से बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
बीजेपी महासचिव राम माधव ने ऐलान किया कि पार्टी गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले रही है. इस ऐलान से पहले पार्टी आलाकमान ने जम्मू - कश्मीर सरकार में अपने मंत्रियों को आपातकालीन विचार - विमर्श के लिए नई दिल्ली बुलाया था. इस ऐलान के बाद श्रीनगर और नई दिल्ली में बढ़ी राजनीतिक हलचल के बीच महबूबा मुफ्ती (59) ने कुछ ही घंटे बाद राज्यपाल एन एन वोहरा को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया.
जम्मू कश्मीर में बीजेपी के पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के साथ तीन साल पुरानी राज्य सरकार गिरने के बाद अब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक, मंत्रालय को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा से एक रिपोर्ट मिली है और इस पर आवश्यक कदम उठाया गया है.
श्रीनगर में राजभवन के एक प्रवक्ता ने बताया कि वोहरा ने गठबंधन सरकार से बीजेपी के बाहर होने और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफा देने के बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट भेजी थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आवास पर गृह सचिव राजीव गाबा और खुफिया ब्यूरो और उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करके जम्मू-कश्मीर की जमीनी स्थिति का आकलन किया.
नई सरकार के गठन की संभावना नजर नहीं आने के बीच, राज्य में आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू हुआ है. यह चौथा मौका है जब राज्यपाल एनएन वोहरा के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर में केन्द्रीय शासन लगाया गया है.
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया है. बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन की सिफारिश वाली रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी थी, जिस पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी है.
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन टूटने से जुड़ी पूरी खबर अंग्रेजी में पढ़ें:- Governor NN Vohra Meets Officers, Security Forces in Srinagar
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Published: 20 Jun 2018,07:56 AM IST