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स्वपन दासगुप्ता एक बार फिर राज्यसभा पहुंच गए हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया था. स्वपन दासगुप्ता को तारकेश्वर विधानसभा सीट से टीएमसी नेता रामेंदु ने करीब 7 हजार वोटों से हराया था. अब राष्ट्रपति ने उन्हें उनकी ही रिक्त हुई सीट पर दोबारा मनोनीत किया है. स्वपन दासगुप्ता का कार्यकाल 24 अप्रैल 2022 तक का होगा.
जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, ''भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, लेख के खंड (3) के साथ पठित, राष्ट्रपति स्वपन दासगुप्ता को फिर से नामित करते हैं. ये सीट उनके शेष कार्यकाल यानी 24.04.2022 तक के लिए उनके इस्तीफे के कारण खाली हो गई थी.''
पूर्व पत्रकार स्वपन दासगुप्ता इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई मीडिया हाउस के साथ काम कर चुके हैं. अप्रैल, 2016 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था. मार्च, 2019 में जब उन्हें समय से पहले ही राज्यसभा से इस्तीफा दिया और चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो टीएमसी की तरफ से सवाल भी उठाए गए थे.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने स्वपन दासगुप्ता की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की था. महुआ मोइत्रा ने संविधान की 10वीं अनुसूची का हवाला देते हुए कहा था कि कोई भी मनोनीत राज्यसभा सांसद शपथ लेने के 6 महीने बाद किसी पार्टी में शामिल होता है, तो उसे राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाने का नियम है.अब स्वपन दासगुप्ता एक बार फिर राज्यसभा पहुंच गए हैं.
पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी के बेटे महेश जेठमलानी भी राज्यसभा जाएंगे. उन्हें सांसद रघुनाथ महापात्रा के निधन से खाली हुई सीट के लिए नामित किया गया है. बतौर राज्यसभा सांसद उनका कार्यकाल मई 2024 तक रहेगा. महेश जेठमलानी की गिनती देश के प्रमुख वकीलों में होती है. महेश जेठमलानी का बीजेपी से पुराना नाता रहा है.
वो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भी रह चुके हैं. वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ महेश ने मोर्चा खोलते हुए राष्ट्रीय कार्यसमिति पद से इस्तीफा दे दिया था.
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