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President Election: विपक्ष के पास नहीं उम्मीदवार? गोपालकृष्ण की ना से उठते सवाल

Gopalkrishna Gandhi ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार बनने के अनुरोध को आज अस्वीकार कर दिया.

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President Election: विपक्ष के पास नहीं उम्मीदवार? गोपालकृष्ण की ना से उठते सवाल

(फोटो- Altered By Quint)

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मजबूत केंद्र के सामने एकजुट विपक्ष की संभावना को एक और बड़ा झटका लगा है. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी (Gopalkrishna Gandhi) ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव (Presidential election) में विपक्ष के उम्मीदवार बनने के अनुरोध को आज अस्वीकार कर दिया. 77 वर्षीय गोपालकृष्ण गांधी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बाद राष्ट्रपति चुनावों के लिए संभावित विपक्षी उम्मीदवारों के रूप में अपना नाम वापस लेने वाले तीसरे राजनीतिक व्यक्ति हैं.

गोपालकृष्ण गांधी ने सोमवार , 20 जून को जारी एक बयान में कहा कि "मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मुझे लगता है कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय सहमति और राष्ट्रीय माहौल पैदा करे. मेरी समझ से और भी होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर करेंगे और इसलिए मैंने नेताओं से अनुरोध किया है कि ऐसे व्यक्ति को अवसर दें.

"भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जिस पद को कभी राजाजी ने अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में संभाला और जिसका आजाद भारत में उद्घाटन डॉ राजेंद्र प्रसाद ने हमारे पहले राष्ट्रपति के रूप में किया"
गोपालकृष्ण गांधी

21 जून को होनी है विपक्ष की बैठक, एक दिन पहले लगा झटका 

गोपालकृष्ण गांधी का यह बयान राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की एक निर्धारित बैठक से एक दिन पहले आया है. 21 जून को मुंबई में होने जा रही इस बैठक में विपक्ष अपने संयुक्त उम्मीदवार के नाम पर अंतिम फैसला लेने वाली है. हालांकि गोपालकृष्ण गांधी के अस्वीकार करने से विपक्ष की मुश्किलें बढ़ गईं हैं. उनके नाम का सुझाव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया था.

77 वर्षीय गोपालकृष्ण गांधी दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं. वह महात्मा गांधी के पोते और सी राजगोपालाचारी के नाती हैं.
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राष्ट्रपति चुनाव से पहले बिखरा दिख रहा विपक्ष, ऐसे कैसे साथ लड़ेंगे 2024 की जंग?

अगले राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हुई थी और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है. यानी पहले ही कम वोटों के साथ जूझ रहे विपक्ष के पास अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारने के लिए बहुत कम समय बचा है. एक के बाद एक 3 संभावित उम्मीदवारों के ना कहने के बाद 21 जून को होने जा रही विपक्ष की अगली बैठक में सबसे बड़ा सवाल 'कौन' का होगा.

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 के अगले आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को तौलने और उसकी नींव रखने का राष्ट्रपति चुनाव बहुत अच्छा मौका है.

हालांकि इसमें विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है और वह इस 'लिटमस टेस्ट' में फेल होता नजर आ रहा है. वैसे भी विपक्ष इस चुनाव में बीजेपी प्लस से बहुत पीछे है.

राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोट वैल्यू 10.86 लाख हैं, जिसमें बीजेपी प्लस के पास 5.26 लाख वोट हैं. बहुमत का आंकड़ा 5.43 लाख है. अगर एक या दो पार्टियों ने समर्थन कर दिया तो बीजेपी प्लस का उम्मीदवार जीत जाएगा. दूसरी तरफ यूपीए के साथ टीएमसी-एसपी मिला जाएं तो भी जीत का आंकड़ा छूना असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर है.

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