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पंजाब (Punjab) विधानसभा के बजट सत्र से पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 21 फरवरी को एक कैबिनेट बैठक के दौरान कई अहम फैसले लिए. बजट 10 मार्च को पेश किया जाएगा और सत्र 3 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा. मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने बुधवार को एडहॉक, कॉन्ट्रैक्ट, डेली वेजेज के लोगों की भलाई के लिए नीति को हरी झंडी दे दी है.
इससे इन कर्मचारियों की सेवाएं रेगुलर करने के लिए रास्ता साफ हो गया है. इस फैसले से अलग-अलग विभागों में 14417 अस्थाई कर्मचारियों की सेवाएं रेगुलर होंगी.
उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों के समय ग्रुप सी और ग्रुप डी के पदों पर की गई अलग- अलग नियुक्तियां सख्त जरूरत और आपात स्थिति में सेवाओं के आधार पर की गई थीं. इनमें से कुछ कर्मचारी10 साल या इससे अधिक समय भी पूरा कर चुके हैं और उन्होंने अपने जीवन के कीमती साल राज्य की सेवा में लगाए हैं.
सरकार ने महसूस किया कि अब इस स्तर पर इनको फारिग कर देने से या इनकी जगह पर किसी अन्य को रख लेने से इन कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी होगी. इन कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 41 के साथ धारा 162 के अंतर्गत मौजूदा नीति तैयार की है, जिससे इन कर्मचारियों को किसी तरह की अनिश्चितता और परेशानी का सामना न करना पड़े और उनकी नौकरी के दौरान सुरक्षा बनी रहे.
जिन कर्मचारियों ने एडहॉक, कंट्रैक्ट, डेली वेजेज और आरजी आधार पर यह नीति लागू होने तक कम से कम लगातार 10 वर्षों की निरंतर सेवा निभाई है, उनको रेगुलर किया जाएगा.
विशेष कैडर में शामिल करने के मौके पर आवेदक के पास नियमों के मुताबिक पद के लिए अपेक्षित योग्यता और तजुर्बा होना चाहिए.
10 वर्षों के समय के दौरान विभाग की तरफ से किये गए मूल्यांकन के मुताबिक आवेदक का काम और आचरण संतोषजनक होना चाहिए.
10 साल का समय गिनने के लिए कर्मचारियों ने इन 10 सालों में से हर एक में कम से कम 240 दिनों की मियाद के लिए काम किया होना चाहिए.
कंट्रैक्ट, एडहॉक और आरजी कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखने के लिए समय की सुरक्षा और अच्छे काम पर आचरण के अंतर्गत 58 साल की उम्र तक पदों के लिए विशेष कैडर बना कर उनको पद पर रखा जाएगा.
इन मुलाजिमों को निर्धारित सेवा नियमों के अंतर्गत सेवा में पदों के रेगुलर कैडर में नहीं रखा जायेगा और उनके लिए विशेष कैडर के पद बनाए जाएंगे. इस नीति के क्लॉज 2 और 3 के मुताबिक लाभार्थी कर्चमचारियों को रखने की प्रक्रिया इस नीति के अंतर्गत नौकरी लेने के लिए कर्मचारियों की तरफ से आवेदन फार्म जमा करवाने से शुरू होगी. इस आवेदन फार्म के साथ निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत जरुरी दस्तावेज जमा करवाने होंगे और अधूरे आवेदन शुरू से रद्द कर दिये जाएंगे.
मंत्रीमंडल ने राज्य में प्राईवेट निवेश को आकर्षित करने के लिए पंजाब स्टेट एडवेंचर टूरिज्म पॉलिसी को भी हरी झंडी दे दी है. यह नीति एडवेंचर टूरिज्म प्रोजेक्टों की मंजूरी के लिए एक पारदर्शी ढंग प्रदान करती है, जिसको मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक अधिकारित कमेटी और अलग-अलग मापदण्डों द्वारा मंजूरी दी जाएगी. इसके आधार पर हर प्रोजेक्ट का मूल्यांकन किया जाएगा. इस नीति के जरिये सिंगल-विंडो सिस्टम के साथ-साथ अलग-अलग स्तरों पर अंतर-विभागीय तालमेल को आसान बनाया गया है.
इस पॉलिसी के मुताबिक शुरुआती स्तर पर राज्य में एडवेंचर स्पोर्टस शुरू करने की इजाजत मान्यता प्राप्त नेशनल एडवेंचर स्पोर्ट फेडरेशन को दी जाएगी क्योंकि वह सुरक्षा संबंधी मुद्दों को बेहतर ढंग से निपटा सकती है. राज्य में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ा फ्री दिए जाएंगे.
जिन क्षेत्रों में यह खेल करवाए जाएंगे, उन्होंने क्षेत्रों में रोजगार पैदा होने के साथ-साथ समूची आर्थिक प्रगति होगी.
मंत्रीमंडल ने पंजाब स्टेट वॉटर टूरिज्म पालिसी को भी मंजूरी दे दी है, जिसके अंतर्गत राज्य में जलघरों के नजदीक निजी निवेश को उत्साहित किया जाएगा. यह पालिसी वॉटर टूरिज्म प्रोजेक्टों की मंजूरी के लिए एक पारदर्शी ढंग प्रदान करती है. जल स्रोतों की कमी और इस पॉलिसी से आर्थिक तौर पर बड़ी क्षमता की संभावना को ध्यान में रखते हुये जल पर्यटन प्रोजेक्टों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक कमेटी के द्वारा ही मंजूरी देने का प्रस्ताव है.
यह पॉलिसी लंबे समय तक आर्थिक लाभ प्रदान करेगी और प्रोजेक्टों का चयन भावी विकास की संभावना पर निर्भर करेगा, जिस कारण राज्य को एक प्रसिद्ध और “स्मार्ट“ पर्यटन स्थान के तौर पर विकसित किया जा सकेगा.
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