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पंजाब के CM चन्नी को तीसरी बार हाईकमान का बुलावा, कैबिनेट विस्तार पर फंसा पेंच

Punjab Congress | कैबिनेट विस्तार पर अंतिम निर्णय के पहले फूंक-फूंक के कदम उठाना चाहती है कांग्रेस ?

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<div class="paragraphs"><p>सीएम Charanjit Singh Channi को कांग्रेस हाईकमान का बुलावा</p></div>
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सीएम Charanjit Singh Channi को कांग्रेस हाईकमान का बुलावा

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

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पंजाब (Punjab) के नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) अपनी कैबिनेट के विस्तार पर चर्चा के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ बैठक करेंगे. पिछले 4 दिनों में यह तीसरी दफा है जब कैबिनेट पर अंतिम निर्णय के लिए सीएम चन्नी को कांग्रेस हाईकमान का बुलावा आया है.

समाचार एजेंसी ANI के अनुसार यह बैठक पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों की उपस्थिति में दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर होगी.

आगामी विधानसभा के ठीक पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को सूबे के मुख्यमंत्री पद से हटा कर पहले ही स्टेट यूनिट में एक धड़े को बागी बना चुकी हाईकमान कैबिनेट के विस्तार पर अंतिम निर्णय के पहले फूंक-फूंक के कदम उठाना चाहती है.

एक दिन पहले ही सीएम चन्नी आये थे दिल्ली

चरणजीत सिंह चन्नी अपने कैबिनेट के नामों को अंतिम रूप देने के लिए पार्टी आलाकमान के साथ विचार-विमर्श के एक और दौर के लिए गुरुवार, 23 सितंबर की शाम ही दिल्ली गए थे. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राहुल गांधी के साथ सीएम चन्नी की मीटिंग के बाद नए कैबिनेट के अंतिम लिस्ट पर सहमति बनी थी. लेकिन राहुल गांधी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ बैठक के बाद लिस्ट को जारी करने से रोक दिया.

राहुल गांधी के साथ मीटिंग के बाद चरणजीत सिंह चन्नी देर रात 2 बजे वापस पंजाब लौटे थे. लेकिन फिर से उन्हें दिल्ली जाना पड़ा.

इससे पहले 21 सितंबर को भी चन्नी कैबिनेट पर चर्चा के लिए ही पंजाब के दोनों उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस नवजोत सिद्धू के साथ दिल्ली आये थे. यहां उन्होंने कैबिनेट में संभावित नामों पर चर्चा के लिए केसी. वेणुगोपाल, हरीश रावत और दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों अजय माकन और हरीश चौधरी से मिले थे. उस समय राहुल गांधी निजी यात्रा पर शिमला में थे.

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कहां फंस रहा पेंच ?

आगामी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पंजाब कांग्रेस में मौजूद आंतरिक कलह की उसके लिए गले की फांस बन गयी है. आलाकमान की तरफ से इसको दूर करने के तमाम उपाय फेल होते दिख रहे. ना नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की कमान देने से ये कलह दूर हुआ, न अब कैप्टन से पंजाब की “कप्तानी” छीनकर ही इसका इलाज दिख रहा.

यही कारण है कि सूबे के मुख्यमंत्री और कांग्रेस हाईकमान कैबिनेट पर निर्णय हड़बड़ी में नहीं लेना चाहता. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरिंदर सिंह के करीबी सहयोगियों को कैबिनेट से हटाए जाने की संभावना है, जबकि पांच नए चेहरे मंत्रालय में अपनी जगह बना सकते हैं.

कांग्रेस हाईकमान की चिंता है कि अगर सभी “अमरिंदर वफादारों” को कैबिनेट से बाहर करने का निर्णय लिया जाता है तो वो चुनाव के ठीक पहले खुल कर अमरिंदर सिंह की तरफ जा सकते हैं, जो पहले ही सीएम पद से हटाए जाने के बाद बगावती सुर छेड़े हुए हैं.

साथ ही कांग्रेस कैबिनेट ने नए चेहरों के साथ ऐसा तालमेल भी बिठाना चाहती है कि इसी बहाने चुनाव के पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी साधे जा सकें.

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