advertisement
पंजाब कांग्रेस में चुनाव से पहले हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. पार्टी ने किसी तरह नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम अमरिंदर सिंह की लड़ाई को शांत किया, लेकिन अब एक बार फिर दोनों के बीच वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है. इस बार सिद्धू के दो सलाहकारों ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. सिद्धू के सलाहकारों ने इंदिरा गांधी और कश्मीर को लेकर विवादित बयान दे डाला, जिसके बाद पहले सीएम अमरिंदर सिंह ने फटकार लगाई और अब खुद सिद्धू ने दोनों को तलब किया.
इस पूरे मामले की शिकायत पार्टी आला कमान तक हुई. जिसके बाद एक बार फिर पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के कंधों पर विवाद को खत्म करने की जिम्मेदारी डाली गई. हरीश रावत फिलहाल इस मामले में बीच बचाव करने उतर चुके हैं. जब रावत से इसे लेकर पूछा गया तो उन्होंने आने वाले चुनावों का हवाला देते हुए इसे एक साजिश करार दे दिया. उन्होंने कहा,
इस मामले पर हरीश रावत ने आगे कहा कि, मैंने इसे लेकर सिद्धू और बाकी लोगों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनाव नजदीक देखकर कोई राजनीतिक फायदा उठाना चाहता हो.
दरअसल पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान को पार्टी ने मशक्कत करते हुए शांत किया था और सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी. लेकिन इसके बाद से ही सिद्धू के तेवर नरम होने की बजाय और ज्यादा तेज हो गए. अब इसी बीच उनके सलाहकार मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग चर्चा में आ गए. इंदिरा गांधी पर विवादित पोस्टर पोस्ट करने वाले माली ने अब कश्मीर को लेकर कहा कि भारत और पाकिस्तान का कश्मीर पर अवैध कब्जा है. कश्मीर तो सिर्फ कश्मीरियों का है. इस बयान में उन्होंने आर्टिकल 370 का भी जिक्र किया.
वहीं दूसरे सलाहकार प्यारे लाल गर्ग ने पाकिस्तान की आलोचना करने पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर ही सवाल उठा दिए. साथ ही उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर दी. इसके बाद पंजाब की राजनीति में एक बार फिर घमासान शुरू हो गया. कैप्टन ने सिद्धू को हिदायत देते हुए कहा कि वो अपने लोगों को समझाएं.
अब फिलहाल गेंद नवजोत सिंह सिद्धू के पाले में है, देखना होगा कि वो इस गेंद को वापस बाउंड्री पार कर मामले को और बढ़ाते हैं या फिर नीचे झुककर डक करते हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आए सिद्धू अपने सलाहकारों के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं. क्योंकि पिछली बार पार्टी ने अमरिंदर सिंह की आपत्ति के बावजूद सिद्धू को अध्यक्ष पद सौंप दिया था. लेकिन अब अगर सिद्धू चुप रहे तो पार्टी अबकी बार उनके साथ सख्ती दिखा सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined