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पिछले एक हफ्ते में दो अलग-अलग राष्ट्रीय पार्टियों ने दो राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बदले हैं. अब सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अगले सीएम होंगे?
पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास 77 का प्रचंड बहुमत था. लेकिन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खड़े 40 विधायक भारी पड़े.
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 106 विधायक हैं, जिसमें 6 बीएसपी से कांग्रेस विधायक दल में शामिल हुए थे.
बीएसपी ने अपने विधायकों के दलबदल के खिलाफ मामला दायर किया था जो सुप्रीम कोर्ट के पास विचाराधीन है. दलबदल करने वाले बीएसपी के धुरंधर बीच मझधार में फंस गए हैं. उन्हें कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण वादा किया गया मंत्री पद नहीं दिया गया था, और अदालती मामले की तलवार अभी भी उनके सिर पर लटकी हुई है.
लेकिन अशोक गहलोत की ताकत 13 निर्दलीय विधायकों में है, जिनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें 2018 में टिकट वितरण में सचिन पायलट के नेतृत्व वाली राज्य कांग्रेस इकाई ने दरकिनार कर दिया और उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की थी.
कांग्रेस बैकग्राउंड वाले कई निर्दलीय जुलाई 2020 में पायलट द्वारा किए गए 'तख्तापलट' की कोशिश के दौरान सीएम गहलोत के साथ अडिग रहे थे.
गहलोत दिसंबर 2018 में सूबे के तीसरी बार सीएम चुने जाने के बाद से ही भारी दबाव में हैं. उनके प्रतिद्वंद्वी पायलट के दिल्ली में कई समर्थक थे, लेकिन जब राज्य कांग्रेस कार्यालय में विधायकों की गिनती की बात आई तो पायलट पीछे रह गए.
कांग्रेस के गलियारों में यह सर्वविदित है कि राहुल गांधी कभी भी अशोक गहलोत के पक्ष में नहीं रहे. गहलोत सोनिया गांधी और कभी-कभी प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा दिए गए समर्थन से कुर्सी पर बने रहे. लेकिन प्रियंका ने उत्तर प्रदेश के जाति समीकरण और राहुल गांधी के साथ पायलट के समीकरण को देखते हुए पाला बदल लिया.
पंजाब के विपरीत राजस्थान में कांग्रेस के पास पायलट के रूप में स्पष्ट विकल्प है जो कार्यभार संभालने के लिए तैयार है. इसलिए जब भी कांग्रेस आलाकमान द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा वह कमोबेश सबको पता होगा. लेकिन 'कब' पर संशय बना हुआ है.
यहां तक कि पायलट खेमे के विधायक भी पूर्व में बयान दे चुके हैं कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में जो काम करना चाहते थे, वह कमोबेश किया जा रहा है.
हालांकि, एक सवाल जिसका जवाब गहलोत पिछले ढाई साल से नहीं दे पाए हैं, वह है अगले विधानसभा चुनाव और राजस्थान कांग्रेस में अगले नए चेहरे को लेकर.
पायलट राजस्थान में कांग्रेस के युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अगर गहलोत राजस्थान कांग्रेस में नौजवानों को काबू करने में कामयाब हो जाते हैं तो वह एक और साल पद पर बने रह सकते हैं और अगर नहीं, तो राजस्थान में भी पंजाब की कहानी दोहराई जा सकती है.
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