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नवजोत सिंह सिद्धू के 28 सितंबर को पंजाब कांगेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने नवजोत सिंह सिद्धू से बात की है.
इस बातचीत में चन्नी ने सुझाव दिया कि वे उन मुद्दों पर चर्चा करें जिन पर उन्हें आपत्ति है. ये दिखाता है कि चन्नी कुछ हद तक झुकने के लिए तैयार हैं.
चन्नी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने सिद्धू को कहा है कि,
जब चन्नी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो सिद्धू से सलाह नहीं ली गई थी. सिद्धू ने पार्टी के साथ किसी भी बातचीत के बिना मनमुटाव में इस्तीफा दे दिया था. वो कई नियुक्तियों को लेकर नाराज हैं जिसमे कई उम्मीदवार अस्थायी रूप से भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े हैं या राजनीति में सिद्धू के प्रतिद्वंदी रहे हैं.
इससे पहले सिद्धू ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए अपनी बात दोहराई कि वो नैतिकता या "नैतिक अधिकार" से समझौता नहीं कर सकते.
उन्होंने रेत खनन घोटाले से जुड़े होने के बाद 2018 में अमरिंदर सिंह कैबिनेट छोड़ने वाले राणा गुरजीत सिंह का संदर्भ दिया जिन्हें बाद में एक जांच पैनल ने बरी कर दिया था.
सिद्धू गृह मंत्रालय को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और उपमुख्यमंत्री एसएस रंधावा को सौंपे जाने से भी नाराज हैं. उन्हें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति पर भी आपत्ति है, जिन्हें पंजाब पुलिस प्रमुख के रूप में अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
सहोता 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान से जुड़ी घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे.
एपीएस देओल की एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्ति उनके लिए नाराजगी का सबसे बड़ा कारण रहा है. देओल 2015 के अपमान मामलों और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग से जुड़े एक मामले में आरोपी एक पूर्व पुलिस प्रमुख के वकील थे.
सिद्धू को ये भी उम्मीद थी कि कैप्टन के हटने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा नही हुआ और पार्टी आलाकमान ने चन्नी को इस पद के लिए चुना.
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