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भारत जोड़ो न्याय यात्रा : UP में गठबंधन साथियों के गढ़ से क्या कांग्रेस ने बनाई दूरी?

Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी की न्याय यात्रा झारखंड से होते हुए 15 फरवरी के आसपास उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा</p></div>
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उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' (Bharat Jodo Nyay Yatra) 14 जनवरी को मणिपुर से निकलेगी और 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार यह यात्रा झारखंड से होते हुए 15 फरवरी के आसपास उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी. इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय (Ajay Rai) समेत बाकी नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में 14 जनवरी को "न्याय मशाल यात्रा" निकाली जाएगी. कम से कम 5 किलोमीटर लंबी यह यात्रा जिले में शहीद स्थल या जिला कलेक्ट्रेट तक निकाली जाएगी. 15 जनवरी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक दल अयोध्या भी जाएगा. वहां सरयू में स्नान करने के बाद रामलला और हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन का प्रयोजन भी है.

कांग्रेस ने एसपी-आरएलडी के गढ़ से बनाई दूरी

यात्रा के रूट में उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले जिलों की बात करें तो यह यात्रा झारखंड से होते हुए यूपी में चंदौली में प्रवेश करेगी. वाराणसी, प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, मथुरा और आगरा होते हुए राजस्थान में प्रवेश कर जाएगी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार रूट निर्धारण में कोई खास राजनीतिक अभिप्राय नहीं है. हालांकि विशेषज्ञों कहना है कि कांग्रेस ने इस रूट को तैयार करने में यह कोशिश की है कि INDIA गठबंधन के साथियों को नाराज ना किया जाए.

यूपी के वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल ने क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान बताया,

"इस यात्रा में यूपी के उन जिलों को शामिल नहीं किया गया है जहां पर एसपी या आरएलडी मजबूत है. चाहे वह आजमगढ़,गाजीपुर या फिर इटावा, मैनपुरी, कन्नौज और फिरोजाबाद जैसी एसपी का गढ़ कहे जाने वाली सीटें हो. पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिले जैसे मेरठ मुजफ्फरनगर और बागपत, जहां पर आरएलडी मजबूत है वहां भी यात्रा का कोई ठहराव नहीं है. कांग्रेस ने कोशिश की है कि गठबंधन में मौजूद क्षेत्रीय पार्टियों को उनके गढ़ में यात्रा ले जाकर नाराज ना किया जाए."

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान एसपी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर हुई अनबन और बयानबाजी के बाद संबंधों में दरार आई थी. ऐसे में इंडिया गठबंधन के भविष्य पर भी सवाल उठने शुरू हो गए थे. पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों हावी हैं. राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में हार के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है. गठबंधन के साथियों के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न होने पर कांग्रेस को गठबंधन सहित सीट बंटवारे में घाटा उठाना पड़ सकता है.

सीट बंटवारे से पहले कांग्रेस का "भारत जोड़ो न्याय यात्रा" के माध्यम से प्रदेश में शक्ति प्रदर्शन बारगेनिंग टेबल पर पार्टी की स्थिति मजबूत कर सकता है. ऐसे में यह समझना जरूरी होगा कि इस यात्रा में पड़ने वाले कुछ प्रमुख जिलों में पार्टी की क्या स्थिति है, कौन दावेदार हैं और INDIA गठबंधन में किसका पलड़ा भारी है.
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अजय राय फिर बनारस से ठोक सकते हैं दावेदारी

यात्रा के यूपी में प्रवेश करने के बाद पहला बड़ा जिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है. यहीं से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी अपनी दावेदारी पेश करते आए हैं. हालांकि, पिछले दो चुनाव में उनका प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है. 2019 लोकसभा चुनाव में यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार जीती थी. दूसरे नंबर पर एसपी- बीएसपी की गठबंधन प्रत्याशी शालिनी यादव और तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय थे. इस बार एसपी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ सकती है. सूत्रों की मानें तो यह सीट गठबंधन में कांग्रेस को मिल सकती है.

अमेठी- रायबरेली पर रहेगी सबकी निगाहें

कांग्रेस का गढ़ कहीं जाने वाले अमेठी सीट पर सब की निगाहें रहेंगी. 2019 में कांटे की टक्कर में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को शिकस्त दी थी. भारत जोड़ो न्याय यात्रा और राहुल गांधी के अमेठी पहुंचने पर, इस बार भी यहां से उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोर पकड़ सकती हैं. सवाल है कि क्या वो यहां से चुनाव लड़ेंगे या नहीं?

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाने वाले अमेठी लोकसभा क्षेत्र का नेतृत्व गांधी परिवार का ही कोई शख्स करेगा. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के बीच रोमांचक मुकाबले देखने को मिल सकता है.

अगर रायबरेली की बात करें तो उत्तर प्रदेश की अकेली सीट है जहां पर 2019 में कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई थी. अमेठी की तरह रायबरेली में भी 2024 लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार प्रतिनिधित्व करता नजर आएगा. सीट बंटवारे की बात करें तो यह दोनों सीट बिना किसी विरोध के कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं.

राजधानी में कमजोर हो रही पकड़

यात्रा के राजधानी लखनऊ पहुंचते ही 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ना शुरू हो जाएगी. चुनाव के लिहाज से इस सीट पर कांग्रेस का पूर्व के चुनाव में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. 1991 से लेकर अब तक बीजेपी प्रत्याशी ही इस सीट पर चुनाव जीतता आया है. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी. 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम इस सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे. एसपी और बीएसपी गठबंधन प्रत्याशी पूनम शत्रुघ्न सिन्हा भी कुछ खास टक्कर नहीं दे पाई थी. उनका वोट शेयर 25.5% था. वहीं आचार्य प्रमोद कृष्णम को 16.1% वोट मिले थे. सीट बंटवारे के दौरान लखनऊ लोकसभा सीट को लेकर भी दोनों पार्टियों में रस्साकसी देखने को मिल सकती है.

बरेली पर एसपी और कांग्रेस दोनों की होगी निगाहें

पूर्वांचल, अवध से होते हुए भारत जोड़ो न्याय यात्रा यूपी के रोहिलखंड क्षेत्र में प्रवेश करेगी. रोहिलखंड में पहला पड़ाव यहां का प्रमुख शहर बरेली है. कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले प्रवीण सिंह ऐरन पार्टी की तरफ से कई लोकसभा चुनाव में दावेदारी पेश कर चुके हैं. 2009 लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत भी दर्ज की. कांटे की टक्कर में उन्होंने बीजेपी के संतोष गंगवार को हराया था. हालांकि, 2014 के मोदी लहर में संतोष गंगवार ने फिर वापसी की और 2019 में भी सीट पर कब्जा बनाए रखा. यहां पर एसपी के कई बड़े दावेदार भी मौजूद हैं जिनमें भगवत शरण गंगवार, अता-उर-रहमान और शहजिल इस्लाम हैं. दोनों ही अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं.

ऐसे में चुनाव से पहले बरेली सीट के बंटवारे को लेकर एसपी और कांग्रेस के बीच में रोचक खींचतान देखने को मिल सकती है. सूत्रों की मांने तो बरेली सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है. वहीं बगल की आंवला लोकसभा सीट पर एसपी प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा.

एसपी के गढ़ में कांग्रेस की स्थिति मजबूत

बरेली, रामपुर होते हुए भारत जोड़ो न्याय यात्रा मुरादाबाद पहुंचेगी. इस सीट पर कांग्रेस की मजबूत हो रही स्थिति से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में उत्साह है और इसका असर गठबंधन में सीट बंटवारे में देखने को मिल सकता है. एसपी का गढ़ माने जाने वाले मुरादाबाद में पिछले साल हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का मेयर प्रत्याशी हाजी रिजवान कुरैशी दूसरे नंबर पर तो, वहीं एसपी के प्रत्याशी नईमुद्दीन तीसरे नंबर पर रहे थे. यहां पर मुसलमानों के बीच एसपी की घटती लोकप्रियता का सीधा फायदा कांग्रेस को मिला. बीजेपी के विनोद अग्रवाल ने मात्र 3,643 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी हाजी रिजवान कुरैशी को हराकर जीत दर्ज की थी. यहां तीसरे नंबर पर रहे बीएसपी प्रत्याशी मोहम्मद यामीन को 15845 मत प्राप्त हुए. जबकि, चौथे स्थान पर रहे एसपी उम्मीदवार रईसुद्दीन को 13,441 वोट मिले. मेयर चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस सीट बंटवारे में मुरादाबाद से अपना प्रत्याशी खड़ा करने की कोशिश करेगा.

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