मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राहुल गांधी की ‘काला’ के निर्देशक रंजीत से मुलाकात का मतलब समझिए

राहुल गांधी की ‘काला’ के निर्देशक रंजीत से मुलाकात का मतलब समझिए

दलित राजनीति  का इस मुलाकात से क्या ताल्लुक है?

नीरज गुप्ता
पॉलिटिक्स
Updated:
फिल्म ‘काला’ के निर्देशक रंजीत से राहुल गांधी की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का मुद्दा है.
i
फिल्म ‘काला’ के निर्देशक रंजीत से राहुल गांधी की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का मुद्दा है.
(फोटो: ट्विटर @RahulGandhi)

advertisement

जब एक ‘करो या मरो’ सरीखा चुनावी दंगल सामने हो तो राजनेताओं की मुलाकातों के अर्थ गहरे हो जाते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चर्चित फिल्म ‘काला’ के निर्देशक रंजीत से मुलाकात की. ये अपनी पॉलिटिक्स में ‘दलित एजेंडा’ पर फोकस कर रहे एक नेता की एक ऐसे निर्देशक से मुलाकात थी जो अपनी फिल्मों में दलितों के प्रति भेदभाव जैसे मुद्दों पर तीखा हमला करता है.

रंजीत से मुलाकात के बाद राहुल ने ट्वीट किया:

राहुल लिखते हैं कि उन्होंने मद्रास, कबाली और काला जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के डायरेक्टर पी ए रंजीत और एक्टर कलैयारसन से मुलाकात की. राजनीति, फिल्म और समाज के बारे में बाते हुईं. उनसे बातचीत करके अच्छा लगा और उम्मीद है कि संवाद का यह सिलसिला जारी रहेगा.

शब्दों पर गौर कीजिएगा- उम्मीद है कि संवाद का यह सिलसिला जारी रहेगा.

37 साल के रंजीत को सिर्फ एक फिल्म निर्देशक कहना गलत होगा. वो जाति से दलित हैं, स्वभाव से अंबेडकरवादी हैं और खुद को नास्तिक कहते हैं. उनकी फिल्में मनोरंजन के साथ पॉलिटिक्ल मैसेजिंग का अद्भुत कॉकटेल होती हैं. समाज में जातिवाद और दलितों से भेदभाव जैसे मुद्दे उनके दिल के बेहद करीब हैं जो उनकी फिल्मों में साफ झलकते हैं.

अब आते हैं रंजीत के ट्वीट पर.

बड़ी साफगोही से वो लिखते हैं कि राहुल गांधी के साथ राजनीति और कला के मुद्दों पर अहम बैठक हुई. हमारे सेक्यूलर संविधान के लिए खतरा बने हुए जातिवाद और धार्मिक पक्षपात जैसे मुद्दों पर बात हुई. उम्मीद करता हूं कि हमारी ये चर्चा कुछ ठोस शक्ल अख्तियार करेगी. एक राष्ट्रीय नेता का तमाम विचारधाराओं के लोगों से मिलना उत्साह बढ़ाने वाली बात है.

शब्दों पर गौर कीजिए- उम्मीद करता हूं कि हमारी ये चर्चा कुछ ठोस शक्ल अख्तियार करेगी.

राहुल गांधी का ‘दलित’ फोकस

अब चलते हैं जरा फ्लैशबैक में और नजर डालते हैं राहुल गांधी के 6 मई, 2018 के ट्वीट पर जिसमें 2016 के ऊना (गुजरात) कांड समेत दलितों पर अत्याचार की घटनाओं को दिखाया गया है.

इस ट्वीट में सीधा हमला बोलते हुए राहुल लिखते हैं कि संघ और बीजेपी की फासिस्ट विचारधारा दलितों और आदिवासियों को समाज के निचले पायदान पर रखना चाहती है.

इसके अलावा भी पिछले कुछ महीनों में हुए गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनाव से लेकर तमाम मौकों पर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी दलितों पर फोकस करते नजर आए हैं.

23 अप्रैल, 2018 को ‘संविधान बचाओ अभियान’ के नारे के तहत राहुल ने दलित समाज के एक सम्मेलन को संबोधित किया था। एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2 अप्रैल को हुए दलितों के देशव्यापी आंदोलन में भी कांग्रेस ने खुलकर उनका पक्ष लिया। 

आंदोलन पर राहुल का ट्वीट था- हम अपने दलित भाई-बहनों को सलाम करते हैं.

अप्रैल, 2018 में मध्य प्रदेश में हुई दलित उत्पीड़न की एक घटना के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया:

दलित अत्याचार के बढ़ते मामले आखिर किस ओर इशारा कर रहे हैं? ये जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए और ये वीडियो देखिए.

दलित राजनीति पर कांग्रेस का एक नजारा हमें 23 मई, 2018 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भी देखने को मिला था. उस मौके पर सोनिया गांधी और बहुजम समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती की इस तस्वीर को भविष्य के सियासी गठजोड़ के तौर पर देखा गया था.

कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी और मायावती की ये तस्वीर खासी चर्चा में रही.(फोटो: पीटीआई)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

दलितों की ताकत

पिछले कुछ महीनों में देश भर में हुए दलित आंदोलनों और दलितों के आरक्षण में सेंध जैसे मुद्दों ने एक वोटबैंक के तौर पर उन्हें काफी हाईलाइट किया है.

आने वाले नौ महीनों में देश को चार अहम चुनाव देखने हैं. साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव और अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दलितों की तादाद करीब 17.2%, 15.2% और 12.8% है और पूरे देश में करीब 16.6%.

जाहिर है कि इन तमाम चुनावों में दलित एक अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. संगठित होते दलितों पर बीजेपी भी डोरे डालने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पिछले दिनों बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने दलितों के घर भोजन जैसे कार्यक्रम किए.

ऐसे में राहुल गांधी और रंजीत की मुलाकात महज एक आम मुलाकात नहीं माना जा सकता. अब वो फिल्मों के माध्यम से हो या फिर दलित समाज का बुद्धिजीवी होने के नाते कांग्रेस का एजेंडा आगे बढ़ाने में, लेकिन आने वाले दिनों में रंजीत का कांग्रेस के साथ किसी ना किसी रूप में जुड़ाव देखने को मिले तो हैरान मत होइएगा.

वैसे दिलचस्प ये भी है कि रंजीत की दो फिल्मों ‘कबाली’ और ‘काला’ के हीरो सुपरस्टार रजनीकांत हैं. वही रजनीकांत जो इन दिनों पॉलिटिक्ल पार्टी बनाने की घोषणा करके तमिलनाडु के सियासी पर्दे पर हलचल मचा रहे हैं.

आखिर में...

राहुल से मुलाकात में रंजीत ने काला टी-शर्ट पहना है. लेकिन शुक्र है कि राहुल ने सफेद कुर्ता नहीं पहना वरना सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी को उनकी तुलना रजनीकांत और नाना पाटेकर से करने में देर नहीं लगती.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 11 Jul 2018,03:42 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT