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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने गौतम अडानी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मैंने कई बार बोला है कि हिन्दुस्तान में लोकतंत्र पर आक्रमण हो रहा है. इसके हमें रोज नए-नए उदाहरण मिल रहे हैं.
वहीं सदस्यता रद्द किए जाने को उन्होंने पैनिक रिएक्शन करार दिया है. उन्होंने कहा कि मेरे सवालों से घबराकर, प्रधानमंत्री को बचाने के लिए पैनिक रिएक्शन में मेरी सदस्यता तुरंत रद्द की गई है.
राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि "अडानी जी की कंपनियों में 20 हजार करोड़ रुपया किस ने इन्वेस्ट किया है? ये अडानी जी का पैसा नहीं है. पैसा किसी और का है. सवाल ये है कि ये किसके हैं?"
इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि, "मैं सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा. इन लोगों से मुझे डर नहीं लगता. अगर इनको लगता है कि मेरी सदस्यता रद्द करके, डराकर, धमकाकर, जेल भेजकर मुझे बंद कर सकते हैं तो गलत हैं. मैं हिन्दुस्तान के लोकतंत्र के लिए लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा."
माफी मांगने के सवाल पर राहुल ने कहा कि,
लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च को राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी थी. राहुल गांधी को गुजरात की कोर्ट ने 2019 के 'मोदी सरनेम' मानहानि केस में दोषी करार दिया था और दो साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है.
अगर राहुल के सामने विकल्पों की बात करें तो, दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती देने के लिए उन्हें पहले सूरत सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. अगर यहां या फिर किसी हायर कोर्ट द्वारा फैसला रद्द नहीं किया जाता है या उनके दोषसिद्धि पर स्टे नहीं लगता है तो राहुल गांधी की सदस्यता बहाल नहीं हो सकेगी.
दूसरी तरफ सदस्यता खत्म करने के प्रावधान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है. केरल की रहने वाली आभा मुरलीधरन ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की है. याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) को असंवैधानिक करार देने की मांग की है.
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