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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मुसीबत बढ़ती जा रही है. 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले (Modi Surname Defamation Case) में सजा के बाद अब उनकी लोकसभा की सदस्यता भी रद्द हो गई है. इसको लेकर लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इस सबके बीच लिली थॉमस (Lily Thomas Case) मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी चर्चा हो रही है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर लिली थॉमस केस क्या है? जिसके फैसले ने राहुल गांधी के लिए परेशानी बढ़ा दी है.
आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए राजनेताओं को पद से हटने और चुनावों में भाग नहीं लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 10 जुलाई 2013 को एक बड़ा फैसला दिया था. लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई विधायक, सांसद या विधान परिषद सदस्य किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है और इसमें उसे कम से कम दो साल की सजा होती है तो ऐसे में वो तुरंत अयोग्य घोषित माना जाएगा.
इस याचिका के जरिए सजायाफ्ता राजनेताओं को चुनाव लड़ने या आधिकारिक सीट रखने से रोककर आपराधिक तत्वों से भारतीय राजनीति को साफ करने की मांग की गई थी. इसने संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) की ओर भी ध्यान आकर्षित किया.
अनुच्छेद 102(1) संसद के किसी भी सदन की सदस्यता के लिए अयोग्यता निर्धारित करता है.
अनुच्छेद 191(1) राज्य की विधान सभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्यता निर्धारित करता है.
दलील में तर्क दिया गया कि ये प्रावधान केंद्र को और अयोग्यताएं जोड़ने का अधिकार देते हैं.
10 जुलाई, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस एके पटनायक और एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि, "संसद के पास अधिनियम की धारा 8 की उप-धारा (4) को अधिनियमित करने की कोई शक्ति नहीं है और तदनुसार अधिनियम की धारा 8 की उप-धारा (4) संविधान से असंगत है."
अदालत ने यह भी कहा था कि एक सजायाफ्ता सांसद या विधायक की सदस्यता अब धारा 8 (4) द्वारा संरक्षित नहीं होगी, जैसा कि पहले के मामलों में होता था.
दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती देने के लिए राहुल गांधी को पहले सूरत सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. अगर यहां या फिर किसी हायर कोर्ट द्वारा फैसला रद्द नहीं किया जाता है या उनके दोषसिद्धि पर स्टे नहीं लगता है तो राहुल गांधी की सदस्यता बहाल नहीं हो सकेगी.
राहुल गांधी के पास एक और विकल्प मौजूद है. वो लोकसभा सचिवालय के फैसले को भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. राहुल गांधी उचित प्रक्रिया का पालन न करने या अन्य समान आधारों का हवाला देते हुए अयोग्यता नोटिस को हाई कोर्ट में आर्टिकल 226 के तहत या सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 32 के तहत चुनौती दे सकते हैं.
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