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वसुंधरा ने पहले वादे ही वादे किए फिर कहा, पूरे होने की गारंटी नहीं

जानिए- मीडिया के सवाल पर सीएम वसुंधरा ने क्यों कहा- वादे पूरे होने की गारंटी नहीं

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राजस्थान में वित्तमंत्रालय भी वसुंधरा राजे के पास 
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राजस्थान में वित्तमंत्रालय भी वसुंधरा राजे के पास 
(फोटोः @DIPRRajasthan)

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राजस्थान में उपचुनाव में करारी हार का दर्द मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर साफ दिख रहा है. उन्होंने सोमवार को अपनी मौजूदा सरकार के आखिरी बजट में वादों की झड़ी लगा दी, लेकिन बजट के बाद की की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो कह बैठीं कि सरकार की तरफ से वादे पूरे किए जाने की कोई गारंटी नहीं है.

मीडिया खबरों के मुताबिक सीएम से बजट के वादे पूरे करने की टाइम लिमिट मांगी गई तो उन्होंने कह दिया इसकी कोई गारंटी नहीं है. हालांकि बाद में जोड़ा कि जो 600 बडे़ वादे किए थे उसमें से 500 पूरे किए जा चुके हैं.

लेकिन गारंटी नहीं होने के बयान का जो नुकसान होना था वो तो हो ही गया. विपक्ष ने इसे लपक लिया और आरोप लगाया कि वादे सिर्फ कागजों में हो रहे हैं इसलिए मुख्यमंत्री के दिल की बात जुबान पर आ गई.

मीडिया के सवाल पर क्या बोली वसुंधरा

दरअसल, सोमवार को पेश बजट में गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए योजनाओं का ऐलान किया गया है. कुल मिलाकर बजट वादों और वादों से भरा था.

बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वसुंधरा से पूछा गया सरकार बजट में किए गए वादों को आचार संहिता लगने से पहले कैसे पूरा करेगी? इस पर वसुंधरा राजे ने कहा...

वादे पूरे होने की कोई गारंटी नहीं है. लेकिन फिर संभलते हुए कहा कि राज्य सरकार ने 4 साल में 600 में से 500 वादे पूरे भी कर दिए हैं.
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विपक्ष ने बताया ‘चुनावी बजट'

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने वसुंधरा इस बजट को ‘चुनावी बजट’ करार दिया और कहा कि लोग राज्य में अगली सरकार कांग्रेस की बनाने का मन बना चुके हैं.

गहलोत के मुताबिक ये ऐसा बजट है जो लागू होने वाला नहीं है. यह मात्र चुनावी बजट है. उन्होंने कहा कि लोग राजस्थान में अगली सरकार कांग्रेस की बनाने का मन बना चुके है.

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने बजट को चुनावी बजट करार दिया. उनके मुताबिक मुख्यमंत्री किसानों को समर्थन मूल्य पर उनकी फसल की खरीद को सुनिश्चित करती तो किसानों का भला होता. मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग के अधीन आने वाली संस्थाओं से लोन लेने वाले किसानों का पचास हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया है ,जबकि बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के मुकाबले काफी कम कर्जे माफ किये हैं.

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