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Rajasthan Congress के 92 विधायकों के इस्तीफों का क्या होगा, ये हैं विधानसभा नियम

Rajasthan: विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के लिए बने नियमों के फार्मेट में ही अपने पत्र लिखे हैं.

पंकज सोनी
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Today's Top 10 News: राजस्थान संकट पर सोनिया को रिपोर्ट सौपेंगे पर्यवेक्षक</p></div>
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Today's Top 10 News: राजस्थान संकट पर सोनिया को रिपोर्ट सौपेंगे पर्यवेक्षक

(फोटो: क्विंट)

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राजस्थान (Rajasthan) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को पद से हटाए जाने और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को कमान सौंपने की संभावना के विरोध में खड़ी हुई पार्टी और निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे अब विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की तिजोरी में बंद हो गए हैं.

विधायकों के ये इस्तीफे भले ही राजनीति दांवपेंच का एक हिस्सा हों, लेकिन वास्तविकता ये है कि विधायकों के दिए गए इस्तीफे पूरी तरह से नियम और कायदों की पालना करते हुए दिए गए हैं.

विधायकों ने तय फॉर्मेट में दिए हैं इस्तीफे

विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के लिए बने नियमों के फार्मेट में लिखे गए इस्तीफे पर हस्ताक्षर करके खुद विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर सौंपे है. नियमों के अनुसार इन इस्तीफों को स्वीकार करना अध्यक्ष की मजबूरी है. विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफा मंजूर करने से पहले अगर विधायक खुद उपस्थित होकर अपने इस्तीफा वापस लेने की बात नहीं कहते तब तक यह माना जाएगा की सदस्यता से त्यागपत्र हो गया है, लेकिन ऐसा करने में वो सियायत कमजोर पड़ जाती है कि जिसके कारण ये लिखे गए थे.

राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया नियम के अध्याय-21 के नियम-173 में सदस्य के त्यागपत्र देने के नियम का उल्लेख है. इसमें सेट फॉरमेट का भी जिक्र है, जिसमें इस्तीफा लिखना होता है. इसी फार्मेट में 25 सितंबर को विधायकों ने इस्तीफा लिखा है.

नियम अनुसार विधानसभा को तत्काल यह इस्तीफा मंजूर करना होता है. अगर इस्तीफा डाक या अन्य किसी जरिए से भेजा जाता है तो विधानसभा अध्यक्ष पहले यह सुनिश्चित करते कि इस्तीफा सदस्य ने बिना दबाव में दिया है.

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इस्तीफा खुद जाकर देने के बाद अब इस मामले में नियमानुसार विधायकों के हाथ में कुछ नहीं है. हां ये जरूर है कि विधायक खुद विधानसभा अध्यक्ष के सामने जाकर पेश होकर अपना इस्तीफा वापस लेने की जानकारी लिखित में दें, लेकिन यह तब तक ही संभव है जबतक अध्यक्ष ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया हो.

हेमाराम चौधरी ने दो बार दिया था इस्तीफा

पायलट गुट के माने जाने वाले विधायक हेमाराम चौधरी ने 14 फरवरी 2019 और 21 मई, 2021 को विधायक पद से अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था, लेकिन चौधरी ने खुद विधानसभा को जाकर यह इस्तीफा नहीं सौंपा था. हर बार ई-मेल और डाक के जरिए अपना इस्तीफा भेजा था. इस कारण से अध्यक्ष को इसे स्वीकार करने से पहले चौधरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने के लिए कहा था.

25 सितंबर को दिए गए इस्तीफे के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है, नियमानुसार यह त्यागपत्र तुरंत स्वीकार होने चाहिए.

बीजेपी ने कहा सरकार अल्पमत में

BJP के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने कहा कि 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. नियमानुसार अब यह विधायक नहीं रहे हैं. ऐसे में सरकार अल्पमत में है, लिहाजा मुख्यमंत्री अशोक गहलेत और उनकी सरकार को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए.

आपको बता दें कि गहलोत को हटाकर पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के मामले में दबाव की राजनीति के तहत 92 कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर इस्तीफे सौंपे थे. इन इस्तीफों को लेकर तीन दिन बाद भी विधानसभा सचिवालय ने स्थिति साफ नहीं की है.

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Published: 29 Sep 2022,10:46 AM IST

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