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राजस्थान में उठा सियासी तूफान अब थम चुका है. सचिन पायलट के अपने 18 समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा चले जाने के बाद गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ गई थीं, लेकिन पायलट की वापसी से एक बार फिर कांग्रेस राजस्थान में मजबूत हुई और विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत पारित हुआ. लेकिन पायलट पार्टी में यूं ही वापस नहीं आ गए, उन्होंने इससे पहले कांग्रेस से शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और उन्हें उनकी शिकायतों को खत्म करने का भरोसा दिया गया. अब राजस्थान कांग्रेस में एक फेरबदल हुआ है. अविनाश पांडे की जगह अब अजय माकन को राजस्थान का प्रभार दे दिया गया है.
अब भले ही ये बदलाव देखने में काफी छोटा या सामान्य लग रहा हो, लेकिन ऐसा कतई नहीं है. इसे पायलट की वापसी वाली शर्तों के पूरे होने की शुरुआत मान सकते हैं. बताया जा रहा है कि पायलट और अविनाश पांडे में काफी कुछ ठीक नहीं चल रहा था. इसीलिए पायलट ने राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे के खिलाफ अपनी नाराजगी के बारे में बड़े नेताओं को बताई. जिसके बाद अब पार्टी में बदलाव शुरू हुआ है.
दिल्ली की राजनीति में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाने वाले अजय माकन को अब राजस्थान का प्रभारी नियुक्त कर दिया गया है. हटाए गए अविनाश पांडे को लेकर पार्टी की तरफ से सिर्फ इतना कहा गया कि, ''पार्टी अविनाश पांडे के योगदान की प्रशंसा करती है.’’
यानी इस कदम से साफ हो गया कि पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने जो शर्तें रखीं हैं, उन्हें पूरा करने का काम शुरू हो चुका है. वहीं इस ऐलान के साथ ही कांग्रेस की तरफ से ये भी बताया गया कि राजस्थान में पार्टी के नाराज विधायकों की तरफ से उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया गया है. कांग्रेस ने एक बयान में कहा,
अब आपको पहले बताते हैं कि सचिन पायलट ने राजस्थान विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद क्या कहा था. पायलट ने विधानसभा से निकलने के बाद अपने लिए रोडमैप का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि,
पायलट यहां अपनी शर्तों को लेकर बनाई जाने वाली कमेटी का जिक्र कर रहे थे. जिसका अब गठन हो चुका है. पायलट ने कमेटी के गठन के बाद पार्टी का आभार जताया और कहा कि, मुझे विश्वास है कि कमेटी के मार्गदर्शन में राजस्थान में संगठन को नई दशा और दिशा मिलेगी.
अब राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी को यूं हटाया जाना सीधे एक बात की तरफ इशारा करता है कि पायलट की वापसी के बदले सबसे पहली सजा उन्हें ही भुगतनी पड़ी है. क्योंकि पायलट ने केंद्रीय नेताओं के सामने जो शर्तें रखीं थीं, उनमें ये भी शामिल थी. अविनाश पांडे वही शख्स हैं, जो एक महीने पहले पायलट को लगातार फोन लगाने की बात कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि पायलट दो दिन से उनका फोन नहीं उठा रहे हैं. लेकिन अब उन्हीं को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है. तीन साल बाद राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के पद से हटाए जाने पर अविनाश पांडे ने जनता और कांग्रेस नेताओं को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि वो पार्टी को मजबूत करने की दिशा में लगातार काम करते रहेंगे. पांडे ने कहा,
बता दें कि अविनाश पांडे की मौजूदगी में ही कांग्रेस ने राजस्थान में अपनी सरकार बनाई. कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें भी इसका श्रेय दिया गया था. लेकिन पायलट के रडार पर आने के बाद फिलहाल उन्हें किनारे कर दिया गया है. हालांकि ये देखना अभी बाकी है कि पायलट की हिट लिस्ट में कौन-कौन शामिल है.
अब अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किए जाने को लेकर पार्टी में फिलहाल कोई विरोध नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि माकन सीधे केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े हैं. उन्होंने इससे पहले दिल्ली में भी शीला दीक्षित के साथ मिलकर लंबी राजनीति की है.
माकन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि पार्टी के अंदर चल रहे शीत युद्ध को कैसे शांत किया जाए. भले ही दुनिया के सामने पायलट और गहलोत हाथ मिलाते नजर आए, लेकिन कुछ हफ्तों पहले सभी ने दोनों की एक दूसरे के लिए कड़वाहट देखी थी.
बता दें कि अजय माकन को दिल्ली के 2015 विधानसभा चुनावों के बाद दिल्ली की जिम्मेदारी दी गई थी. जिसके बाद अगले 4 सालों तक उन्होंने बतौर प्रदेश अध्यक्ष काम किया. लेकिन लोकसभा चुनावों से ठीक पहले माकन ने 2019 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद ये खबरें भी सामने आईं थीं कि माकन को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. माकन दिल्ली में बतौर अध्यक्ष कांग्रेस को मजबूत कर पाने में कामयाब नहीं रहे. क्योंकि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी दिल्ली में कांग्रेस शून्य पर सिमटकर रह गई.
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Published: 17 Aug 2020,06:59 PM IST