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राजस्थान में हाल ही में हुए शहरी निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने निर्णायक जीत हासिल की है. राजस्थान के 33 जिलों में से 24 जिलों में फैले 2105 वार्डों में से, कांग्रेस ने 961, बीजेपी ने 737 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 386 सीटों पर जीत हासिल की है. 3 नगर निगम, 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिका समेत 49 शहरी स्थानीय निकायों में शनिवार को मतदान हुआ था.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव नतीजों की तारीफ की और कहा कि ये नतीजे उनकी सरकार के लिए लोगों के समर्थन की झलक है. उन्होंने दो ट्वीट कर कहा , "आज आए निकाय चुनाव के नतीजे सुखद हैं. जिला परिषद उपचुनाव, पंचायती राज उपचुनाव एवं विधानसभा (मण्डावा, खींवसर) उपचुनाव के बाद निकाय चुनाव में भी प्रदेश की जनता ने हमारी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों को अपना समर्थन देकर संवेदनशील, जवाबदेह एवं पारदर्शी शासन और गुड गवर्नेंस देने की हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है. मैं सभी मतदाताओं का आभार प्रकट करता हूं और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी एवम विजयी उम्मीदवारों को बधाई देता हूं."
कांग्रेस ने राज्य भर में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इनमें से कुछ जीत अपने आप में बेहद खास है:
हालांकि, बीजेपी उदयपुर, पाली और अजमेर जैसे जिलों में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही. अजमेर में, जिसे उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, बीजेपी तीनों परिषदों- ब्यावर, पुष्कर और नसीराबाद को जीतने में कामयाब रही.
बीजेपी ने बीकानेर नगर निगम में भी अच्छा प्रदर्शन किया और 80 में से 39 वार्ड जीते.
बीजेपी के लिए एक आश्चर्यजनक जीत सीकर में खाटूश्यामजी नगर पालिका भी है, जहां पार्टी ने लंबे समय के बाद कब्जा कर लिया. हालांकि, जिले की अन्य दो परिषदों - सीकर और नीम का थाना में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया.
निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बड़ी कामयाबी है. उन्हें इस साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों 25:0 की हार के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी अपनी सीट जोधपुर नहीं जीत सके थे. डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ गहलोत की अदावत भी पार्टी को नुकसान पहुंचा रही थी.
लेकिन सितंबर में राजस्थान में बीएसपी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे सीएम की स्थिति मजबूत हुई.
पिछले महीने मंडावा विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस बीजेपी से सीट छीनने में कामयाबी रही. इससे गहलोत के पक्ष में जनाधार बढ़ा और अब शहरी निकाय चुनावों में निर्णायक जीत यह सुनिश्चित करेगी कि गहलोत सीएम के पद पर निर्विवाद रूप से बने रहेंगे.
बीजेपी के लिए ये चुनाव नतीजे निराशाजनक हैं. पार्टी ने अयोध्या मामले में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ-साथ आर्टिकल 370 को बेअसर बनाने के लिए केंद्र सरकार के फैसले से फायदे की उम्मीद की थी.
हालांकि, ऐसा लगता है कि मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों के आधार पर वोट दिया और अक्सर अल्पमत राज्य सरकारों को जो स्थानीय चुनावों में फायदा होता है, उसी की वजह से कांग्रेस को जीत हासिल हुई.
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