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जयपुर, भरतपुर जिला परिषद चुनाव जीतकर भी क्यों हारी कांग्रेस? ये है पूरा खेल

कांग्रेस ने 6 में से 5 जिलों में परिषद चुनाव जीते थे, लेकिन प्रमुख बनवा पाई सिर्फ 3 में

अरविन्द सिंह
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>राजस्थान</p></div>
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राजस्थान

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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जयपुर में 6 सितंबर को पंचायत चुनावों (Rajasthan Panchayat Elections) में हुए हाई वोल्टेज ड्रामें के बाद कुछ घंटों पहले कांग्रेस से बीजेपी में आयी रमा देवी, जयपुर की जिला प्रमुख चुन ली गयी. जयपुर में कांग्रेस ने जिला परिषद की कुल 50 सीटों में से 27 सीटें जीती थीं. मगर वार्ड नं 17 से जिला पार्षद रमा देवी के बीजेपी में चले जाने और एक अन्य जेकी कुमार टांटियावाल की क्रॉस वोटिंग से राजधानी जयपुर में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी और बीजेपी ने जयपुर जिला परिषद पर कब्जा कर लिया.

6 सितंबर सुबह करीब दस बजे, कांग्रेस की वार्ड पार्षद रमा देवी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पहुंचीं और बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. रमा देवी के साथ वरिष्ठ बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ उपस्थित थे. सूत्रों के मुताबिक, रमा देवी ने ये कदम तब उठाया जब उन्हें ये पुख्ता जानकारी मिल गयी कि कांग्रेस उन्हें जिला प्रमुख का उम्मीदवार घोषित नहीं कर रही.

रमा देवी, कांग्रेस के नेता मोहन चोपड़ा की पत्नी है और उन्होंने अपने पूरे चुनावी अभियान में अपने आप को जिला प्रमुख का सबसे मजबूत उम्मीदवार घोषित कर रखा था.

रमा देवी ने अपने साथ कांग्रेस के दो से तीन जिला पार्षदों को तोड़ कर लाने का वादा किया था पर केवल जैकी कुमार टांटियावाल ने ही उनके साथ क्रॉस वोटिंग की. सूत्रों का कहना है कि जैकी कुमार से कांग्रेसी नेता समय रहते संपर्क नहीं कर पाए, जिसका जिम्मेदार चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोंलकी को माना जा रहा है.

जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर जिला परिषद के लिए वोटिंग के बाद माहौल तब गरमा गया, जब जिला प्रमुख रमा देवी के साथ जैकी कुमार भी बीजेपी की बस में चढ़ कर जाने लगे. चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोंलकी अपने समर्थकों के कंधों पर बैठ कर जैकी को आवाज दे रहे थे, वही कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने जैकी कुमार के साथ धक्का मुक्की भी कर दी. वहां मौजूद पुलिस दल को हालात को नियंत्रण में रखे के लिए हल्का लाठी चार्ज करना पड़ा.

CM गहलोत ने BJP पर लगाए हॉर्स ट्रेंडिंग के आरोप

नाटकीय घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तीखा बयान जारी करते हुए कहा कि बीजेपी ने हॉर्स ट्रेडिंग का सहारा ले कर जयपुर जिला परिषद में अपना जिला प्रमुख बनाया है. गहलोत के इस आरोप ने राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी, जब उन्होंने अपने बयान में कहा कि इस हॉर्स ट्रेडिंग में वही लोग शामिल है जो पहले भी राजस्थान में सरकार गिराने का कुप्रयास कर चुके है.

पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट को नाकारा-निक्कमा कहने के बाद, अशोक गहलोत का राजस्थान कांग्रेस में अपने विरोधी गुट पर ये सबसे तीखा हमला था. गहलोत बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ पर भी उनकी सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा चुके है. पूनियां और राठौड़ दोनों ही जयपुर जिला परिषद के चुनावों में कांग्रेस को पटखनी देने के लिए पूरी तरह से सक्रिय थे.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अशोक गहलोत का इशारा, वार्ड नं 18 से जिला पार्षद जैकी कुमार टांटियावाल की क्रॉस वोटिंग पर था, जो कि चाकूस के विधायक वेदप्रकाश सोंलकी का करीबी माना जाता है. वेदप्रकाश सोलंकी, राजस्थान में पायलट गुट के उन विधायकों में शामिल है जिन्होंने अशोक गहलोत के खिलाफ पिछले एक साल से लगातार सार्वजनिक बयानबाजी जारी रखी है.

दूसरी तरफ, राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा जयपुर जिला परिषद की हार से बोखलाए हुए नजर आये. डोटसरा ने आरोप लगाया कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोगों ने पीठ में छुरा घोंपने और विश्वासघात करने का काम किया है. इससे पहले गोविन्द डोटासरा ने एक आदेश जारी कर वार्ड नं 17 से जिला पार्षद रमा देवी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया.

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द डोटासरा ने बाद में एक प्रेस वार्ता में कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने जयपुर जिला परिषद चुनावों में हुए घटनाक्रम की रिपोर्ट तलब की है. ये रिपोर्ट जल्द ही पीसीसी द्वारा राजस्थान के प्रभारी अजय माकन को भेजी जायेगी.

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केवल तीन जिला परिषद में अपना बोर्ड बनाने में कामयाब हुई कांग्रेस

कांग्रेस ने छह में से पांच जिला परिषद चुनावों में जीत हासिल की थी, पर वह केवल तीन में ही अपना बोर्ड बनाने में कामयाब हो पायी. जयपुर से ज्यादा रोचक मामला भरतपुर जिला परिषद का था, जहां बीजेपी ने 37 में से केवल 14 सीटों पर जीत हासिल की थी.

6 सितंबर को जब वोटिंग हुई तो पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह को 28 वोट मिल गये. जगत सिंह को ना केवल बीएसपी और निर्दलीय वार्ड पार्षदों ने समर्थन दिया, बल्कि कांग्रेस के कुछ पार्षदों ने भी जगत सिंह के पक्ष में क्रास वोटिंग की. जगत सिंह भरतपुर के कामां से विधायक रह चुके है और अब भरतपुर शहर में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने मे जुटे हैं. जगत सिंह की भरतपुर में सक्रियता पूर्व महाराजा विश्वेन्द्र सिंह और अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले भरतपुर के आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है.

उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में कांग्रेस के ही तीन दावेदारों ने जिला प्रमुख के लिए पर्चा भर दिया. जोधपुर जिला परिषद में कांग्रेस ने 37 में से 21 सीटे जीती थी पर यहां जिला प्रमुख के कई दावेदार थे.

मुख्य मुकाबला बहुचर्चित भंवरी देवी हत्याकांड में हाल ही जेल जमानत पर छूटे पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा, पाली के पूर्व सांसद बदरी लाल जाखड की बेटी मुन्नी देवी और नेहा चौधरी में था.

सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत ने खुद तीनों उम्मीदवारों से बात कर लीला मदेरणा के पक्ष में एकजुट होने के लिए मना लिया. लीला मदेरणा छट्ठी बार जिला परिषद की सदस्य है और उनके पति महिपाल मदेरणा जोधपुर के जिला प्रमुख रह चुके है. लीला की बेटी दिव्या मदेरणा, ओसियां से कांग्रेस की विधायक है.

दौसा में कांग्रेस के हीरा लाल सैनी और सवाई माधोपुर में कांग्रेस के सुदामा ने जिला प्रमुख का चुनाव जीत लिया. वहीं, बीजेपी के अर्जुन पुरोहित 17 वोटों के साथ सिरोही के जिला प्रमुख चुन लिये गए. सिरोही जिला परिषद में बीजेपी का बोर्ड बनना, निर्दलीय विधायक संयम लोढा के लिए गलफांस बन गया है, जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में पिछले एक साल से काफी मुखर थे. लोढा का नाम राजस्थान में मंत्रीमंडल विस्तार की अफवाहों में सबसे पहले लिया जा रहा था, पर जिला परिषद में हुई हार के बाद लोढा के राजनीतिक सितारे गर्दिश में जाने की संभावना जतायी जाने लगी है.

कांग्रेस के मिस मैनेजमेंट के अलावा, राजस्थान के छह जिलों में हुए पंचायत राज चुनावों की खास बात ये रही कि हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने दो पंचायत समितियों में बीजेपी के सहयोग से प्रधान के पद पर कब्जा कर लिया. हनुमान बेनीवाल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का धुर विरोधी माना जाता है और उनकी पार्टी की पंचायत राज चुनावों में पहली जीत भी गहलोत के गृह जिले जोधपुर में हुई है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने चामू और बावडी पंचायत समिती पर कब्जा किया है. चामू में गुड्डी मेघवाल प्रधान बनी है जो कि चुनाव लड़ने से पहले नरेगा मजदूर थी. वहीं, बावडी से अनिता खोजा ने प्रधान पद हासिल किया. बेनीवाल की आरएलटीपी ने छह जिलों में पंचायत समितियों की कुल 40 सीटों पर कब्जा किया है.

राजस्थान में 78 पंचायत समितियों में से 49 में कांग्रेस का बोर्ड बना है, वहीं बीजेपी ने 25 पंचायत समितियों में सफलता हासिल की है. चुनावी नतीजों में कांग्रेस को 26 और बीजेपी को 14 पंचायत समितियों में बहुमत मिला था.

खास बात ये कि सचिन पायलट की खिलाफत करने वाले कुछ विधायकों में पूर्वी राजस्थान के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में तगडा झटका लगा है. दूदू से निर्दलीय विधायक बाबू लाल नागर अपने बेटे को चुनाव नही जिता पाए वही फागी, दूदू और मोजमाबाद में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. दूदू विधानसभा क्षेत्र का ये गुर्जर बाहुल्य इलाका अजमेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जहां से सचिन पायलट सांसद रह चुके है.

सवाई माधोपुर के गंगापुर से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा के इलाके में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. दौसा जिले के महुआ में कांग्रेस को पंचायत समिति में बहुमत नही मिल पाया. स्थानीय विधायक ओमप्रकाश हुडला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमें के माने जाते हैं.

राजस्थान के छह जिलों पंचायत राज संस्थाओं में चुनावों की प्रक्रिया तो आज समाप्त हो गयी पर जयपुर से जोधपुर और सिरोही से भरतपुर तक सियासत से समीकरणों के बदलते रंग की झलक भी दिखा गयी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दुधारे बयान के बाद राजस्थान में आने वाले दिनों में पायलट खेमे और मुख्यमंत्री के बीच टकराव और तेज होने की संभावना है, जिससे कांग्रेस आलाकमान की मुश्किले बढ़ सकती है.

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Published: 07 Sep 2021,09:10 PM IST

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