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संजय राउत BJP के रडार पर क्यों आए? सत्ता से रखा दूर,बयानों से बने नासूर- 3 कारण

Sanjay Raut को मुंबई की विशेष अदालत ने 4 अगस्त तक ED की हिरासत में भेज दिया है

आशुतोष कुमार सिंह
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>संजय राउत BJP के रडार पर क्यों आए? 2019 में सत्ता से रखा दूर,बयानों से बने नासूर</p></div>
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संजय राउत BJP के रडार पर क्यों आए? 2019 में सत्ता से रखा दूर,बयानों से बने नासूर

(फोटो- Altered By Quint)

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शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) को मुंबई की विशेष अदालत ने 4 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया है. संजय राउत पात्रा चॉल (Patra Chawl) भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार हुए हैं. उद्धव ठाकरे के गुट के नेता संजय राउत केंद्रीय एजेंसी की इस कार्रवाई को बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार द्वारा बदले की कार्रवाई बता रहे हैं.

सवाल है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (एकनाथ शिंदे की बगावत के पहले) की राजनीति में और स्वतंत्र रूप से भी संजय राउत की ऐसी क्या भूमिका रही है जिसने उन्हें बीजेपी के रडार पर ला दिया है.

पहला कारण-  2019 चुनाव के बाद महाराष्ट्र में सत्ता से दूर रखा

संजय राउत बीजेपी के रडार पर कैसे आ गए? इस सवाल का जवाब बहुत हद तक 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बनी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार खड़ी करने में संजय राउत की भूमिका में है. बीजेपी इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भी सत्ता में नहीं थी और शिवसेना ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में राजनीतिक रूप से दूसरे छोर पर बैठी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

भले ही शरद पवार को इस महा विकास अघाड़ी सरकार का सर्वमान्य वास्तुकार माना जाता है, वह संजय राउत ही थे जिन्होंने उद्धव ठाकरे को सरकार बनाने के लिए बीजेपी का साथ छोड़कर विरोधी विचारधारा वाली पार्टियों के साथ जाने के लिए मनाया.

यह सरकार एकनाथ शिंदे की बगावत करने तक लगभग 31 महीने चली. इस दौरान संजय राउत कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना को जोड़ने वाली कड़ी रहें. वो दिल्ली में उद्धव ठाकरे के ऐसे प्रतिनिधि भी थे जो बीजेपी का आक्रामक विरोध करते हुए पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

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दूसरा कारण- बीजेपी के लिए बयानों से बने 'नासूर'

28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र में उद्धव के सत्ता संभालने के बाद से संजय रावत बीजेपी की हर आलोचना का अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस और पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में जमकर जवाब दे रहे थे. संजय रावत सिर्फ महाराष्ट्र में स्थित बीजेपी नेताओं को ही नहीं पीएम मोदी को भी निशाने पर ले रहे थे. यही कारण था कि वे बीजेपी के रडार पर आए. नजर डालते हैं संजय रावत के कुछ ऐसे ही दमदार बयानों पर-

  • संजय राउत ने मई 2022 में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी हिटलर के "प्यार" में हैं उस जर्मन तानाशाह को फॉलो करते हैं.

  • संजय राउत ने जून 2022 में बयान दिया कि "कश्मीर फिर से जल रहा है, वहां स्थिति नियंत्रण से बाहर है और दिल्ली (केंद्र सरकार) के महत्वपूर्ण लोग फिल्मों के प्रमोशन में व्यस्त हैं.". केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बॉलीवुड फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' की स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने के बाद संजय रावत की यह तीखी टिप्पणी आई थी.

  • अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी हत्याकांड पर संजय रावत ने कहा था कि किसानों की हत्या हुई है, लेकिन अब तक पीएम मोदी की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया.

  • मार्च 2021 में जब महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद चल रहा था तब संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि बेलगाम में मराठी लोगों पर हो रहे हमलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह खामोश हैं.

तीसरा कारण- उद्धव और एकनाथ को संदेश

महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सत्ता से बाहर थी. लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत ने बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी का दरवाजा खोल दिया.

संजय राउत पर ED ने पात्रा चॉल भूमि घोटाले यह एक्शन तब लिया है जब शिवसेना पर लगभग पकड़ खो चुके उद्धव ठाकरे को उनकी सबसे अधिक जरूरत है. मुंबई में जल्द ही होने जा रहे नगरपालिका (BMC) के चुनाव में उद्धव ठाकरे के लिए अपनी ताकत सिद्ध करना एक राजनीतिक मजबूरी है, लेकिन बिना अपने ‘सारथी’ के, उनके लिए यह रास्ता आसान नहीं होगा.

कई पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि संजय राउत को रडार पर लेकर बीजेपी दरअसल उद्धव ठाकरे को निशाने पर लेना चाहती है. यह एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बागी विधायकों को भी एक सन्देश हो सकता है कि उद्धव से बगावत की इजाजत है, हमसे नहीं.

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