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Patra Chawl Scam: क्या है पात्रा चॉल केस, जिसमें गिरफ्तार हुए हैं संजय राउत?

Maharashtra: ED अधिकारियों ने बताया कि जांच में सहयोग नहीं करने की वजह से राउत को गिरफ्तार किया है.

मोहम्मद साकिब मज़ीद
कुंजी
Published:
<div class="paragraphs"><p>Maharashtra: क्या है पात्रा चॉल केस,जिसमें अरेस्ट हुए संजय राउत, कैसे आरोप लगे?</p></div>
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Maharashtra: क्या है पात्रा चॉल केस,जिसमें अरेस्ट हुए संजय राउत, कैसे आरोप लगे?

(फोटो- क्विंट)

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शिवसेना (Shivsena) के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) को 1 अगस्त की रात प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA के तहत गिरफ्तार कर लिया है. उनकी गिरफ्तारी पात्रा चॉल (Patra Chawl) भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई है. गिरफ्तारी से पहले संजय राउत के घर पर करीब 9 घंटे और उसके बाद दक्षिण मुंबई स्थित ईडी दफ्तर में 6 घंटे उनसे पूछताछ की गई.

ईडी अधिकारियों ने बताया कि जांच में सहयोग नहीं करने की वजह से राउत को गिरफ्तार किया है. ईडी उन्हें सोमवार को विशेष पीएमएलए कोर्ट में पेश कर उनकी रिमांड मांगेगी.

आइए जानते हैं कि पात्रा चॉल मामला क्या है, जिसके तहत संजय राउत की गिरफ्तारी हुई है और मौजूदा वक्त में इस केस का स्टेटस क्या है.

क्या है पात्रा चॉल घोटाला (Patra Chawl Scam) केस?

पात्रा चॉल लैंड स्कैम केस में करीब 1034 करोड़ के घोटाले का आरोप है. ईडी के मुताबिक मुंबई पश्चिमी उपगनर के गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर के पात्रा चॉल के 47 एकड़ जमीन पर 672 परिवारों के घरों के पुनर्विकास के लिए साल 2007 में सोसायटी द्वारा महाराष्ट्र हाउसिंग डेवलपमेंड अथॉरिटी (MHADA) और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच करार हुआ था. करार के तहत गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को पात्रा चॉल को पुनर्विकसित करने का काम मिला.

इस करार के तहत कंपनी को साढ़े तीन हजार से ज्यादा फ्लैट बनाकर MHADA को देने थे. उसके बाद बची हुई जमीन प्राइवेट डेवलपर्स को बेचनी थी.

गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन, हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की सहायक कंपनी है. एचडीआईएल पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक में लगभग 4,300 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के संबंध में ईडी और कुछ अन्य एजेंसियों की जांच के दायरे में है.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने क्या आरोप लगाए हैं?

ईडी ने कहा कि गुरु आशीष ने Patra Chawl डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए किरायेदारों और MHADA के साथ "त्रिपक्षीय समझौता" किया था. ईडी का दावा है कि समझौते के अनुसार डेवलपर को 672 किरायेदारों को फ्लैट उपलब्ध कराने थे और MHADA के लिए फ्लैट विकसित करने थे. इसके बाद, बची हुई जमीन को बेचा जाना था.

प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के निदेशकों ने MHADA को गुमराह किया और और बिना फ्लैट बनाए ही यह जमीन 9 बिल्डरों को 901.79 करोड़ रुपये में बेच दी. साथ ही 672 लोगों को उनका मकान नहीं दिया गया."

अब तक की गई ईडी की जांच में पाया गया कि "एचडीआईएल से प्रवीण राउत के खाते में करीब 100 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए."

यह रकम आगे प्रवीण राउत द्वारा अपने करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्य, उनकी व्यावसायिक संस्थाओं के विभिन्न खातों में "डायवर्ट" की गई थी. गुरु कंस्ट्रक्शन कंपनी के निदेशक रहे प्रवीण राउत, संजय राउत के करीबी हैं. ईडी ने प्रवीण को फरवरी 2022 में गिरफ्तार कर लिया था.

ईडी के मुताबिक पात्रा चॉल घोटाले से प्रवीण ने 95 करोड़ रुपये कमाए और वह पैसा अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को बांटा था. इसमें से करीब 83 लाख रुपये संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में आए थे. फिर 55 लाख रुपये की राशि संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत ने माधुरी राउत को वापस ट्रांसफर कर दी थी.

ईडी ने आरोप लगाया है कि 2010 में, 83 लाख रुपये, जो अपराध से आय का हिस्सा था, संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को ट्रांस्फर कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया था.

इसके अलावा ईडी का आरोप है कि महाराष्ट्र के अलीबाग में किहिम बीच (Kihim beach) पर वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम पर कम से कम आठ प्लॉट खरीदे गए.
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Patra Chawl डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में गलत क्या हुआ?

प्रोजेक्ट के तहत हुए समझौते के मुताबिक डेवलपर को प्रोजेक्ट के पूरा होने तक हर महीने सभी 672 किरायेदारों को किराए का भुगतान करना था. हालांकि, किराए का भुगतान केवल 2014-15 तक ही किया गया था. जैसे ही किरायेदारों ने शिकायत करना शुरू किया, यह भी लगभग उसी वक्त सामने आया कि प्रवीण राउत और जीएसीएल के अन्य डायरेक्टरों ने MHADA (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) को गुमराह किया और FSI को 9 निजी डेवलपर्स को बेच दिया. इसके बाद, GACL ने Meadows लॉन्च किया और भारी बुकिंग राशि एकत्र की.

किराए का भुगतान न करने, देरी और कथित अनियमितताओं की वजह से MHADA ने 12 जनवरी, 2018 को डेवलपर को टर्मिनेशन नोटिस जारी किया.

इस नोटिस के खिलाफ 9 डेवलपर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया. ये वही डेवलपर्स थे, जिन्होंने जीएसीएल से एफएसआई खरीदा था.

प्रोजेक्ट का क्या स्टेटस है?

साल 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के एक रिटायर्ड मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ (Johnny Joseph) के नेतृत्व में एक सदस्यीय कमेटी नियुक्त की, जो 672 किरायेदारों के पुनर्वास और किराये के भुगतान के लिए समाधान का अध्ययन और सिफारिश करेगी.

कमेटी की सिफारिशों और MHADA की प्रतिक्रिया के बाद, राज्य मंत्रिमंडल ने जून 2021 में पात्रा चॉल के पुनर्विकास को फिर से मंजूरी दी. सरकार का प्रस्ताव जुलाई 2021 में जारी किया गया था.

साल 2021 में ही 22 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आदेश पर रुके हुए कॉन्स्ट्रक्शन कार्य को फिर से शुरू किया गया था.

MHADA प्रोजेक्ट को विकसित करने और 672 निवासियों को फ्लैटों पर पूरी तरह से कब्जा देने वाला है. यह भी माना जा रहा है कि बिल्डिंग में 306 फ्लैटों में बचे हुए कार्य को जल्द ही पूरा किया जाएगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों एक अधिकारी ने बताया कि MHADA अब एक डेवलपर के रूप में पूरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और पुनर्विकास परियोजना के जरिए 672 किरायेदारों को 650 वर्ग फीट कार्पेट एरिया के फ्लैट उपलब्ध कराएगा.

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