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पूर्व केंद्रीय मंत्री, समाजवादी नेता, 10 बार सांसद, जनता दल और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष और भी ना जाने कितने लकब लिए शरद यादव (Sharad Yadav) इस दुनिया से अलविदा कह गए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में शरद यादव को डॉक्टर लोहिया के विचारों से प्रभावित नेता बताया और लिखा, ''मैं उनकी यादों को संजोकर रखूंगा.''
मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने राजनीति की शुरुआत जबलपुर से तो की, लेकिन उत्तर प्रदेश के रास्ते वो बिहार ऐसा पहुंचे कि फिर वहीं के होकर रह गए. चार बार बिहार के मधेपुरा से सांसद चुनकर आए.
27 साल की उम्र में शरद यादव पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े. तब जयप्रकाश नारायण का आंदोलन अपनी उंचाई पर था. शरद यादव मीसा कानून के तहत जेल में बंद थे. इसी दौरान ही शरद यादव सर्वोदय विचारधारा के नेता दादा धर्माधिकारी के संपर्क में आए. धर्माधिकारी और जयप्रकाश नारायण अच्छे मित्र थे. दरअसल, इसी दौरान कांग्रेस नेता और सांसद सेठ गोविंद दास के निधन से जबलपुर की सीट खाली हुई थी, तब जयप्रकाश नारायण ने शरद यादव को जबलपुर सीट से पीपुल्स पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. छात्र राजनीति से संसद की राजनीति में शरद यादव की एंट्री होती है.
शरद यादव को जेपी आंदोलन का फ़ायदा मिलता है और वो उपचुनाव जीत जाते हैं. जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष शरद यादव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट थे.
इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और फिर राहुल गांधी के दौर में राजनीति में अपनी पैठ रखने वाले शरद यादव एक बार राजीव गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर गए थे. संजय गांधी की मौत के बाद अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए. तब अमेठी से राजीव गांधी चुनाव मैदान में थे.
शरद यादव के राजनीतिक जीवन में दूसरा अहम मोड़ आया 1989 में, जब वे जनता दल के टिकट पर बदायूं से लोकसभा में पहुंचे. वीपी सिंह की सरकार में वे कपड़ा मंत्री बने. लेकिन जब देवीलाल और वीपी सिंह में नहीं बनी तब शरद यादव ने वीपी सिंह का साथ दिया.
कहा जाता है पिछड़ों को आरक्षण के लिए मंडल कमिशन की रिपोर्ट को लागू कराने में शरद यादव का भी अहम रोल था.
लेकिन वक्त के साथ लालू यादव के साथ तल्खियां बढ़ने लगी. हाल ये हुआ कि जनता दल का अध्यक्ष कौन बनेगा इसके लिए अदालत का रास्ता देखना पड़ा. साल 1997-98 की बात है. लालू यादव जा नाम चारा घोटाले से जुड़ गया था. हालांकि लालू यादव मुख्यमंत्री के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष भी बनना चाहते थे. शरद यादव अध्यक्ष पद का चुनाव जीत गए. इस बात से लालू यादव नाराज हो गए. उन्होंने चारा घोटाले में जेल जाने से पहले जनता दल को तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल बना ली थी.
शरद यादव अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री, श्रम मंत्री और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे. इसके अलावा वो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी कि NDA के संयोजक भी रहे. हालाँकि जब 2013 में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री उम्मीदवारी बनाया गया तो उन्होंने NDA के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया.
शरद यादव 2003 से 2016 तक नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष रहे. लेकिन नीतीश से दूरियां बढ़ने लगी. नीतीश कुमार ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया. और तो और उन्हें राज्यसभा की सदस्यता भी गंवानी पड़ी. इसके बाद 2018 में शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल बनायी जिसका विलय उन्होंने 2022 में राष्ट्रीय जनता दल में कर दिया.
साल 2012 में संसद में बेहतरीन योगदान के लिए 'उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012' से नवाजा गया.
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