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मध्य प्रदेश में मोदी-शाह के दौरों से शिवराज को शक्ति, लेकिन बुलडोजर मॉडल का भय

Madhya Pradesh के विंध्याचल में केजरीवाल को हराने के लिए BJP सेट कर रही गोटी

विष्णुकांत तिवारी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Madhya Pradesh में मोदी-शाह के दौरों से शिवराज को शक्ति, लेकिन बुलडोजर मॉडल का भय</p></div>
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Madhya Pradesh में मोदी-शाह के दौरों से शिवराज को शक्ति, लेकिन बुलडोजर मॉडल का भय

(फोटो- Altered By Quint)

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मध्यप्रदेश में जैसे जैसे दिन चुनाव (Madhya Pradesh Election) की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे प्रदेश की सियासत में काफी चहल-पहल दिखने लगी है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का एक बार फिर दौरा हुआ है. अगस्त से अब तक दोनों के दो-दो दौरे हो चुके हैं और इन सबके बीच एक तीर-दो निशाने की बातें भी होने लगी हैं.

प्रदेश की सियासत में मोदी - शाह के दौरों ने हमेशा ही नई हलचलें पैदा की हैं, लेकिन बीते कुछ महीनों के कार्यक्रमों पर नजर डालें तो शिवराज के विकल्पों को लेकर काफी चर्चाएं होने लगी थीं.

मोदी शाह के हालिया दौरों के बाद इन चर्चाओं को कुछ विराम मिला है. 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया और 16 अक्टूबर को अमित शाह ने हिंदी में डॉक्टरी की पढ़ाई को हरी झंडी दिखाई, किताबों का अनावरण किया.

इन सबके बीच प्रदेश संगठन महामंत्री हितानन्द शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई लोग मौजूद थे.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पार्टी ने बहुत ही सहजता से चुनाव की तैयारियों पर काम चालू कर दिया है. आला कमान मुख्यमंत्री से खुश है, सिंधिया को भी साधे हुए है, और साथ ही विश्वास सारंग और नरोत्तम मिश्रा जैसे 'सेकंड इन लाइन' नेताओं को भी बराबरी पर लेकर चल रहा है.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के दौरों में आने वाले चुनावों की तैयारियों पर चर्चाएं हुई हैं और चरणबद्ध तरीके से चुनाव लड़ने की बात हुई है.

"इन दोनों ही दौरों में आप देखिए कि हमारे मुख्यमंत्री से आलाकमान खुश है और बाकी नेताओं को भी साधने में सफल रहा है. कुछ विमर्श अभी और होगा आने वाले महीनों में, लेकिन अभी तो प्रदेश के चेहरे को लेकर संकेत साफ हैं,"
एक बीजेपी नेता
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बीजेपी नेताओं का एक धड़ा बुलडोजर सिस्टम से नाखुश?

हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि मध्यप्रदेश के बीजेपी नेताओं का एक धड़ा मौजूदा बुलडोजर सिस्टम से नाखुश है और इसके विपरीत चुनावी परिणामों से आशंकित है. हालांकि राज्य के नेताओं ने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन सूत्रों की मानें तो गैर हिन्दू आबादी बहुल इलाके वाले क्षेत्रों में बुलडोजर मामा वाली छवि से नेता खुद को अलग रखने की कोशिश कर रहे हैं.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई विधायकों को इस बात का डर है. डर उनको भी है जिनकी विधानसभा हिंदू आबादी बहुल है क्योंकि 'बुलडोजर न्याय' की चपेट में कब कौन आ जाएगा, पता नहीं. ऐसी बातेंखासा नुकसान कर सकती हैं.

मोदी धनतेरस के मौके पर भी सतना में आयोजित शासकीय कार्यक्रम से जुड़ेंगे. इस दिन साढ़े चार लाख पीएम आवास हितग्राहियों को गृहप्रवेश कराने का प्लान है. राज्य सरकार विंध्याचल के इलाकों से कटी हुई है, विंध्य में आज चुनाव अगर हो जाएं तो ज्यादातर सीटों पर बीजेपी हार सकती है.

2018 में विंध्याचल की 8 सीटों में सभी पर बीजेपी को जीत मिली थी लेकिन इस बार मामला इतना आसान नहीं दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर AAP (आम आदमी पार्टी) भी इसी इलाके में सेंध मारने में सक्षम हुई है इसलिए भी मोदी के नाम पर विंध्य की जनता का विश्वास कायम रखने की कोशिश है.

कांग्रेस कितनी तैयार?

ये तो हुई बीजेपी की बात. विपक्षी दल कांग्रेस में भी राहुल की भारत जोड़ो यात्रा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों के बीच परदे के पीछे कमलनाथ की टीम भी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है.

मध्य प्रदेश में सत्ता की चाभी मालवा-निमाड़ बेल्ट को माना जाता है. 2018 में कांग्रेस ने वहां अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि, सांप्रदायिक संघर्षों के बाद अब वहां की स्थिति विपरीत है. कांग्रेस का "भारत जोड़ो यात्रा" में मालवा-निमाड़ बेल्ट पर ही फोकस है.

2020 में सिंधिया और अन्य कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे और बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई थी और उस वक्त के मुख्यमंत्री कमलनाथ के चेहरे पर इसका दर्द आज भी दिख जाता है.

बीच में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों में कमलनाथ की भागीदारी को लेकर हवा उड़ने लगी थी उस वक्त भोपाल में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के मध्यप्रदेश  अध्यक्ष कमलनाथ ने साफ कहा था कि उनका पूरा ध्यान मध्यप्रदेश पर लगा हुआ है और वो इस से मुंह नहीं फेरेंगे.

कमलानाथ के नजदीकियों की मानें तो 2020 में सरकार के गिरने को कमलनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और इसीलिए आने वाले चुनावों में जीत के लिए अपना सब कुछ झोंकने में भी कमलनाथ पीछे नहीं हटेंगे.

कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हुए थे, लेकिन जल्द ही वो भी पीछे हट गए और इस समय भारत जोड़ो यात्रा पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किए हुए हैं.

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